नई दिल्ली, 22 जुलाई। ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर के विकलांगता कोटे के दुरुपयोग के आरोपों पर केन्द्र की कमेटी जांच कर रही है। इसी बीच तेलंगाना IAS स्मिता सभरवाल ने सिविल सेवाओं में विकलांगता कोटे की जरूरत पर सवाल उठाए हैं।
स्मिता ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि IAS और IPS समेत अन्य सिविल सेवकों को जमीन पर उतर कर काम करने की आवश्यकता होती है। उनका शेड्यूल लंबा और थका देने वाला होता है। ऐसे में जरूरी है कि एक अधिकारी शारीरिक रूप से फिट हो।
उन्होंने कहा कि वे दिव्यांग लोगों का पूरा सम्मान करती हैं। लेकिन क्या कोई एयरलाइन दिव्यांग पायलट को काम पर रखती है? क्या कोई व्यक्ति, सर्जरी करवाने के लिए दिव्यांग सर्जन पर भरोसा करेगा? यह एक प्रीमियर सर्विस है, इसमें स्पेशल कोटा देने की क्या जरूरत है?
बयान भेदभाव करने वाला है- शिवसेना सांसद
इस बयान पर शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा- यह बहुत ही दयनीय और भेदभाव करने वाला बयान है। मैंने पहली बार किसी ऑफिसर को सभी के लिए बराबरी का रास्ता खोलने वाले आरक्षण की आलोचना करते देखा है।
स्मिता ने शिवसेना सांसद को जवाब देते हुए कहा कि अगर नौकरशाह सरकार के प्रासंगिक मुद्दों पर बात नहीं करेंगे, तो कौन करेगा। मैंने अपने विचार और चिंता 24 साल की नौकरी के बाद सामने रखे हैं। अन्य सरकारी नौकरियों की मुकाबले सिविल सेवा की मांग अलग हैं। अन्य नौकरियों में दिव्यांगों को बेहतर अवसर मिल सकते हैं।
सिविल सेवा में विकलांगता कोटे का विवाद क्या है
महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेड़कर विकलांगता कोटे से UPSC में अपने सिलेक्शन को लेकर सुर्खियों में हैं। उन पर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र लगाने का आरोप है।
पुणे के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (YCM) अस्पताल से 24 अगस्त, 2022 को उनका दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया गया था। YCM के डीन राजेंद्र वाबले ने इसे लेकर कहा है कि इस प्रमाण पत्र में उन्हें 7% दिव्यांग बताया गया है।