नई दिल्ली, 20 जुलाई।महाराष्ट्र कैडर की प्रशिक्षु IAS अफसर पूजा खेड़कर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में अपने सिलेक्शन को लेकर सुर्खियों में हैं। उन पर UPSC की सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र लगाने का आरोप है। पुणे के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (YCM) अस्पताल से 24 अगस्त, 2022 को उनका दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया गया था। YCM के डीन राजेंद्र वाबले ने इसे लेकर कहा है कि इस प्रमाण पत्र में उन्हें 7% दिव्यांग बताया गया है। इसका मतलब है कि शरीर में कोई बड़ी दिव्यांगता नहीं है।
दरअसल UPSC की परीक्षा में पूजा ने PwBD (पर्सन विद बेंचमार्क डिसेबिलिटी) अभ्यर्थी के तौर पर हिस्सा लिया था, जिसमें उन्होंने दो मेडिकल प्रमाण पत्र लगाए थे। पहला मानसिक दिव्यांगता और दूसरा देखने में होने वाली परेशानी से जुड़ा था।
ऐसे में सवाल उठता है कि UPSC की परीक्षा में दिव्यांगता प्रमाण पत्र हासिल करने का पैरामीटर क्या है। इसके जरिए एक अभ्यर्थी को कितनी छूट मिलती है।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि UPSC में दिव्यांग अभ्यर्थी को कितनी राहत मिलती है? साथ ही जानेंगे कि-
- UPSC सिविल सेवा परीक्षा में दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए कितनी जगह आरक्षित है?
- UPSC में दिव्यांगता का सही मानक क्या तय किया गया है?
सवाल- UPSC की सिविल सेवा परीक्षा या शिक्षण संस्थानों में दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए कितना आरक्षण है?
जवाब- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत दिव्यांगों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण को 3% से बढ़ाकर 4% और उच्च सरकारी शिक्षण संस्थानों (IIT, NIT, IIM) में 3% से बढ़ाकर 5% कर दिया गया है।
इसका उद्देश्य दिव्यांगजनों को आगे बढ़ने के ज्यादा-से-ज्यादा अवसर प्रदान है। हालांकि आरक्षण का लाभ तभी मिलता है, जब कोई अभ्यर्थी 40% या उससे अधिक दिव्यांगता वाला हो। इसके लिए अभ्यर्थी के पास दिव्यांगता प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है।
सवाल- UPSC सिविल सेवा परीक्षा में दिव्यांगों को कितनी छूट मिलती है?
जवाब- UPSC की सिविल सेवा परीक्षा के लिए दिव्यांग अभ्यर्थी को उम्र की सीमा में छूट, पदों में आरक्षण और परीक्षा केंद्रों को लेकर विशेष छूट मिलती है।