नई दिल्ली, 20 जुलाई। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम को खत्म करने की मांग को लेकर चल रहा छात्रों का हिंसक विरोध प्रदर्शन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। कुछ सप्ताह पहले शुरू हुए इस आंदोलन ने अब देशभर में उग्र रूप ले लिया है, जिसमें अब तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है और 2500 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
कोटा सिस्टम की पृष्ठभूमि
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम लागू है, जिसमें विभिन्न समुदायों और समूहों के लिए आरक्षण प्रावधान किए गए हैं। छात्रों का मानना है कि यह प्रणाली योग्यता के आधार पर नौकरियों में चयन को प्रभावित करती है और इसे खत्म किया जाना चाहिए।
छात्रों का विरोध प्रदर्शन
देशभर में छात्रों द्वारा किए जा रहे इस विरोध प्रदर्शन ने अब एक व्यापक रूप ले लिया है। छात्रों का कहना है कि कोटा सिस्टम की वजह से उन्हें सरकारी नौकरियों में अवसर नहीं मिल पा रहे हैं और इससे उनके भविष्य पर असर पड़ रहा है। प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि सरकारी नौकरियों में केवल योग्यता के आधार पर चयन होना चाहिए, न कि किसी आरक्षण प्रणाली के तहत।
हिंसा और सरकारी प्रतिक्रिया
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कई स्थानों पर हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है और कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुई हैं। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार ने देशभर में कर्फ्यू लगा दिया है और सेना को तैनात कर दिया गया है।
हताहत और घायल
अब तक इस हिंसक प्रदर्शन में 50 लोगों की मौत हो चुकी है और 2500 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। इनमें से कई लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सरकार का रुख
बांग्लादेश सरकार ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि सरकार उनकी मांगों पर विचार कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजर है। कई मानवाधिकार संगठनों ने बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया है कि वह छात्रों के साथ संवाद स्थापित करे और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम को खत्म करने की मांग को लेकर चल रहा यह विरोध प्रदर्शन एक गंभीर मुद्दा बन गया है। छात्रों का आंदोलन, सरकार की प्रतिक्रिया और बढ़ती हिंसा ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है। यह आवश्यक है कि सरकार और छात्रों के बीच संवाद स्थापित हो और इस मुद्दे का समाधान शांति और सहमति से निकाला जाए। अगर इस समस्या का जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो यह आंदोलन और अधिक उग्र हो सकता है और देश की स्थिति और भी विकट हो सकती है।