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महंगाई की मार: सब्जियों के दामों में भारी उछाल

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महंगाई की मार झेल रहे देशवासियों के लिए सब्जियों के दामों में भारी उछाल ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इस बार टमाटर के दाम कई राज्यों में 100 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुँच गए हैं, जबकि प्याज भी कई जगह 80 रुपये प्रति किलोग्राम को छू रही है। आलू के दामों में भी पिछले एक महीने में दोगुने से ज्यादा का इजाफा देखा गया है।

आइये जानते हैं कि बीते तीन साल में जनवरी से जुलाई के दौरान आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में क्या ट्रेंड रहा है।

टमाटर के दाम

पिछले तीन सालों में टमाटर की कीमतों में बड़ा उतार-चढ़ाव देखा गया है। 2021 में जनवरी से जुलाई के दौरान टमाटर की औसत कीमतें 40-60 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रही थीं। 2022 में ये दाम बढ़कर 60-80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँच गए। 2023 में, मानसून के असर और आपूर्ति में कमी के कारण, टमाटर की कीमतें अचानक बढ़ गईं और जुलाई में 100 रुपये प्रति किलोग्राम के पार चली गईं।

प्याज के दाम

प्याज की कीमतें भी पिछले तीन सालों में स्थिर नहीं रही हैं। 2021 में प्याज की औसत कीमतें 30-50 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। 2022 में कीमतें बढ़कर 50-70 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं। इस साल, प्याज की कीमतें कई जगहों पर 80 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर गईं हैं, जो कि बीते तीन सालों में सबसे ऊँची हैं।

आलू के दाम

आलू की कीमतों में भी बड़ा इजाफा देखा गया है। 2021 में जनवरी से जुलाई के दौरान आलू की कीमतें 20-30 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच थीं। 2022 में ये कीमतें बढ़कर 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं। इस साल, आलू की कीमतें 40-50 रुपये प्रति किलोग्राम से शुरू होकर अब 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँच गई हैं।

कारण

सब्जियों के दामों में इस उछाल के कई कारण हैं। खराब मौसम, फसल की बर्बादी, आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएँ और ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी प्रमुख कारणों में शामिल हैं। इन कारणों से उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है, जिसका सीधा असर सब्जियों की कीमतों पर पड़ा है।

निष्कर्ष

महंगाई के इस दौर में सब्जियों के दामों में भारी उछाल ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि आम जनता को राहत मिल सके और सब्जियों की कीमतें नियंत्रित हो सकें। सब्जियों के दामों में स्थिरता लाने के लिए कृषि सुधार, बेहतर आपूर्ति श्रृंखला और फसल सुरक्षा उपायों की जरूरत है।