
गौतमबुद्ध नगर में किडनी रैकेट का खुलासा होते ही मामले की जांच तेज हो गई है। क्राइम ब्रांच की टीम ने जिले के सीएमओ कार्यालय में छापेमारी कर रिकॉर्ड खंगाले। यह रैकेट कई राज्यों में फैला हुआ है और इसमें शामिल लोग अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट कर रहे थे।
जांच की प्रमुख बातें
- सीएमओ कार्यालय की छानबीन: क्राइम ब्रांच की टीम ने गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में छापेमारी कर महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच की। इस दौरान कई अहम रिकॉर्ड बरामद किए गए हैं जो रैकेट के तार जोड़ सकते हैं।
- अंतरराज्यीय नेटवर्क: शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह रैकेट सिर्फ गौतमबुद्ध नगर तक सीमित नहीं है बल्कि इसका नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है।
- मरीजों की सूची: छानबीन के दौरान कई मरीजों की सूची भी मिली है, जिनका अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था।
रैकेट का काम करने का तरीका
यह रैकेट गरीब और जरूरतमंद लोगों को पैसों का लालच देकर उनकी किडनी निकालता था। इसके बाद इन किडनियों को भारी कीमत पर जरूरतमंद मरीजों को बेचा जाता था। इस अवैध धंधे में कई अस्पताल और डॉक्टर भी शामिल हो सकते हैं।
क्राइम ब्रांच की कार्रवाई
क्राइम ब्रांच की टीम ने रिकॉर्ड खंगालने के बाद कुछ संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। इसके साथ ही, इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है।
जनता की प्रतिक्रिया
इस खुलासे के बाद गौतमबुद्ध नगर की जनता में भारी आक्रोश है। लोग इस अवैध धंधे में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि इस मामले में सख्त कदम उठाए जाएंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही, चिकित्सा प्रणाली में सुधार के लिए भी कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
निष्कर्ष
गौतमबुद्ध नगर में किडनी रैकेट का खुलासा एक गंभीर मुद्दा है जो स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है। प्रशासन और क्राइम ब्रांच की टीम को इस मामले की तह तक जाकर दोषियों को सजा दिलानी चाहिए। जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आशा है कि इस मामले में न्याय मिलेगा और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी। अपडेट्स के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।