नई दिल्ली,05 जुलाई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के चीफ डॉ. आरवी अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ मीडिया में दिए बयान को लेकर शुक्रवार (5 जुलाई) को माफी मांगी। एसोसिएशन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि अशोकन ने अपने बयान पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे।
दरअसल, पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को पतंजलि के साथ-साथ IMA को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि IMA को अपने डॉक्टरों पर भी विचार करना चाहिए, जो अक्सर मरीजों को महंगी और गैर-जरूरी दवाइयां लिख देते हैं। अगर आप एक उंगली किसी की ओर उठाते हैं, तो चार उंगलियां आपकी ओर भी उठती हैं।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को IMA चीफ ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। 29 अप्रैल को न्यूज एजेंसी से इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों का मनोबल तोड़ा है। IMA चीफ के इस बयान पर पतंजलि के चेयरमैन बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल कर कहा था- अशोकन ने कानून की गरिमा कम की।
इसके बाद IMA चीफ ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी भी मांगी थी। हालांकि, कोर्ट ने माफीनामा ठुकरा दिया था।
अशोकन के बयान को लेकर आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि IMA चीफ अशोकन के बयान केस की चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप करते हैं और जस्टिस की प्रोसेस में दखलअंदाजी करते हैं।
उन्होंने अशोकन के बयान को निंदनीय बताते हुए कहा कि यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम करने का प्रयास है। बालकृष्ण ने अपनी याचिका में अशोकन के खिलाफ कानून के अनुरूप कार्रवाई की मांग की है।