इस बीच याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से ReNEET जैसा कोई भी फैसला न सुनाने की अपील की है। इन स्टूडेंट्स का कहना है कि ज्यादातर स्टूडेंट्स ने दो साल की कड़ी मेहनत और 100% लगन के साथ एग्जाम दिया था।
ऐसे में एग्जाम कैंसिल करने का फैसला स्टूडेंट्स के हित में नहीं होगा और ये उनके मौलिक अधिकार – आर्टिकल 14 का उल्लंघन है। एग्जाम कैंसिल करने की जगह OMR शीट का रिइवैल्यूएशन बेहतर विकल्प है। दोषियों को कड़ी सजा हो, लेकिन एग्जाम कैंसिल न किया जाए।
NEET मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के खिलाफ देश के 7 हाईकोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। हालांकि, NTA की सिफारिश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता, बॉम्बे और राजस्थान हाईकोर्ट में NEET से जुड़ी किसी भी याचिका पर सुनवाई से रोक लगा दी है।