नई दिल्ली, 2जुलाई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन ने धर्मांतरण के मामले आरोपी कैलाश की जमानत याचिका को खारिज करते हुए गंभीर टिप्पणी की और कहा कि देश में बड़े स्तर पर एससी/एसटी और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है और इसे तत्काल रोका जाना चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि धार्मिक सभाओं में पैसों का लालच देकर यही जारी रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी. कोर्ट ने कहा देश के नागरिकों का धर्मांतरण कराने वाली सभाओं पर तत्काल रोक लगाई जाए. अनुच्छेद 25 में धर्मांतरण का प्रावधान नहीं है.
दरअसल हमीरपुर के मौदहा में रहने वाले कैलाश पर शिकायतकर्ता रामकली ने उसके मानसिक रूप से कमजोर भाई का धर्मांतरण कराने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आरोपी ने जमानत याचिका दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.
शिकायतकर्ता ने कहा कि उसके भाई को एक हफ्ते के लिए इलाज के बहाने दिल्ली ले जाया गया था. जिसके बाद वो उसे किसी धार्मिक आयोजन में ले गया. आरोपी कैलाश गांव के कई दूसरे लोगों को भी साथ ले गया था, जहां उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया. इतना ही नही इसके बदले उसके भाई को कुछ पैसे भी दिए गए थे.
कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण कराने वाली धार्मिक सभाओं पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए. संविधान का अनुच्छेद 25, धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार, किसी भी धर्म को मानने, पूजा करने व धर्म का प्रचार करने का अधिकार देता है लेकिन किसी को धर्मांतरण की इजाजत नहीं देता. कोर्ट ने कहा ऐसा जानकारी में आया है कि यूपी में धार्मिक आयोजनों के जरिए गरीब और भोले भाले लोगों का धर्मांतरण कर ईसाई बनाया जा रहा है. ये गंभीर मामला है. कोर्ट ने कहा याची कैलाश पर गंभीर आरोप हैं. उसने गांव के कई लोगों का धर्मांतरण किया है. इसलिए उसे जमानत नहीं दी जा सकती है.
लालच देकर नही कराया जा सकता धर्मांतरण
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने संविधान का हवाला दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि संविधान किसी को भी स्वेच्छा से धर्म चुनने की आजादी देता है। संविधान किसी भी व्यक्ति को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने की इजाजत नहीं देता है। कोर्ट ने कहा कि अपने धर्म का प्रचार करने का अर्थ किसी दूसरे व्यक्ति को अपने धर्म में परिवर्तित कराना नहीं है।