अफगानिस्तान – कतर की राजधानी दोहा में रविवार को अफगानिस्तान को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) की एक बैठक हुई। इसमें भारत समेत 25 देश शामिल हुए। साथ ही ऐसा पहली बार हुआ जब तालिबान के नेता अफगानिस्तान पर चर्चा के दौरान मौजूद रहे हों। इससे पहले वे UN की हर उस बैठक का बहिष्कार करते रहे हैं जिनमें अफगानिस्तान पर चर्चा की गई हो।
हालांकि, UN ने स्पष्ट कर दिया था कि इस बैठक का मकसद तालिबान को मान्यता देना नहीं है। इसके बावजूद कई मानवाधिकार संगठनों ने मीटिंग की आलोचना की और सवाल उठाए। इन संगठनों की मांग है कि जब तक तालिबान महिलाओं के अधिकारों का हनन करता रहेगा तब तक न तो उससे बात की जाए और न उन्हें मान्यता मिले।
अफगानिस्तान पर हुई UN की मीटिंग में भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के अधिकारी जेपी सिंह शामिल हुए। हालांकि, इस वक्त विदेश मंत्री एस जयशंकर भी दोहा में थे पर वे बैठक में नहीं गए। भारत अभी तालिबान के मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
जेपी सिंह ने UN की मीटिंग से पहले मार्च में काबुल गए थे। वहां उन्होंने तालिबान के अधिकारियों से मुलाकात की थी। अफगानिस्तान को मान्यता देने के लिए भारत अभी तैयार नहीं है। हालांकि, वहां मानवीय मदद पहुंचा कर अपना असर बनाए रख रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अफागनिस्तान में सुरक्षा के हालातों की वजह से भारत तालिबान को इग्नोर नहीं कर सकता है।