नई दिल्ली, 21जून। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कन्नड़ भाषा, भूमि और जल की रक्षा करना प्रत्येक कन्नड़ की जिम्मेदारी है. उन्होंने राज्य में सभी से भाषा सीखने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृभाषा बोलना गर्व की बात होनी चाहिए. बेंगलुरु में एक सार्वजनिक समारोह में सिद्धारमैया ने कहा, हर किसी को कर्नाटक में रहने वाले लोगों के साथ कन्नड़ में बात करने का निर्णय लेना चाहिए. यह शपथ लेनी चाहिए कि कन्नड़ के अलावा कोई अन्य भाषा नहीं बोलेंगे. कन्नड़ उदार हैं. यही कारण है कि कर्नाटक में ऐसा माहौल है जहां अन्य भाषा बोलने वाले भी कन्नड़ सीखे बिना बोल सकते हैं. यही स्थिति तमिलनाडु, आंध्र या केरल राज्यों में नहीं देखी जाती. वे केवल अपनी मातृभाषा में ही बोलते हैं. हमें भी अपनी मातृभाषा में बोलना होगा.’
‘कन्नड़ माहौल बनाना हम सभी का कर्तव्य’
कन्नड़ माहौल बनाना हम सभी का कर्तव्य है. इसके लिए यहां रहने वाले सभी लोगों को कन्नड़ सीखनी चाहिए. कन्नड़ के प्रति प्रेम विकसित करना चाहिए. हमें अपनी भाषा, भूमि और देश के लिए सम्मान और प्रशंसा विकसित करनी चाहिए. वह कन्नड़ और संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित कर्नाटक नामकरण सुवर्ण महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में विधान सौध के पश्चिमी प्रवेश द्वार के पास नाद देवी भुवनेश्वरी की कांस्य प्रतिमा के निर्माण के लिए भूमि पूजा करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे.
25 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का निर्माण
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सौध के परिसर में लगभग 25 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 1 नवंबर 2024 तक काम पूरा हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा, काम पहले ही शुरू हो चुका है और धन की कोई कमी नहीं है. निर्देश दिया गया है कि यह लोगों के लिए आकर्षक होनी चाहिए. मुझे लगता है कि यह प्रतिमा विधान सौध के आकर्षण को बढ़ाएगी.
1 नवंबर 2023 को राज्य का नाम कर्नाटक रखे 50 वर्ष पूरे
मुख्यमंत्री ने याद किया, 1 नवंबर 2023 को राज्य का नाम कर्नाटक रखे जाने के 50 वर्ष पूरे हो गए और इस वर्ष को ‘हेसरायितु कर्नाटक, उसिरगली कन्नड़’ नारे के साथ कर्नाटक संभ्रम नाम दिया गया. हमने पूरे साल कार्यक्रम आयोजित किए. कार्यक्रम की शुरुआत 1 नवंबर 2023 को हम्पी से हुई. गडग में भी एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया था. नामकरण के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री देवराज अरासु ने उस स्थान का दौरा किया था. यह उनके समय के दौरान था राज्य का नाम कर्नाटक था, तब तक इसे मैसूर राज्य कहा जाता था.
विधान परिषद के सभापति बसवराज होरत्ती, उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, कन्नड़ और संस्कृति मंत्री शिवराज थंगडागी और विधायक उपस्थित थे.