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भारतीय रिजर्व बैंक ने बल्क डिपॉजिट सीमा दो करोड़ से बढ़ाकर किया तीन करोड़

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मुंबई, 7 जून। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बल्क डिपॉजिट की सीमा को दो करोड़ रुपये बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये कर दिया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए बताया कि बैंकों के पास अपनी आवश्यकताओं और परिसंपत्ति उत्तरदायित्व प्रबंधन (एएलएम) अनुमानों के अनुसार बल्क डिपॉजिट पर अलग-अलग ब्याज दर देने का अधिकार है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) और लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के लिए वर्ष 2019 में बल्क डिपॉजिट सीमा को दो करोड़ और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा के रूप में बढ़ाया गया था। समीक्षा करने पर एससीबी और एसएफबी के लिए बल्क डिपॉजिट की परिभाषा को तीन करोड़ और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा के रूप में संशोधित करने का प्रस्ताव है।

दास ने बताया कि इसके अलावा स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के लिए बल्क डिपॉजिट सीमा को आरआरबी के मामले में लागू एक करोड़ और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा के रूप में परिभाषित करने का भी प्रस्ताव है। जल्द ही आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि फेमा 1999 के तहत प्रगतिशील उदारीकरण को ध्यान में रखते हुए और अधिकृत डीलर बैंकों को अधिक लचीला परिचालन प्रदान करने के लिए रिजर्व बैंक ने वैश्विक स्तर पर सीमा पार व्यापार लेनदेन की बदलती गतिशीलता के अनुरूप वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात पर मौजूदा दिशा-निर्देशों को युक्तिसंगत बनाने का निर्णय लिया है। प्रस्तावित युक्तिसंगतीकरण का उद्देश्य परिचालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना है, जिससे सभी हितधारकों के लिए व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा मिले। मसौदा विनियमन और निर्देश जून 2024 के अंत तक बैंक की वेबसाइट पर डाल दिए जाएंगे ताकि उन्हें अंतिम रूप देने से पहले सभी हितधारकों से फीडबैक लिया जा सके।