नई दिल्ली, 31मई। खान मंत्रालय ने कर्नाटक के बेंगलुरू में ग्रेनाइट और संगमरमर खनन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। भारत सरकार के खान मंत्रालय में सचिव वी एल कांता राव ने कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। वहीं, इस अवसर पर कर्नाटक सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव और विकास आयुक्त डॉ. शालिनी रजनीश ने अपना मुख्य भाषण दिया। इस कार्यशाला में खान मंत्रालय की संयुक्त सचिव डॉ. वीणा कुमारी डी, कर्नाटक सरकार के खान और भूविज्ञान सचिव रिचर्ड विंसेंट, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण- बेंगलुरू के वरिष्ठ अधिकारी, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश व तमिलनाडु के राज्य खनन और भूविज्ञान निदेशक, पीएसयू, निजी खनन उद्योग के प्रतिनिधि, खनन संघ और अन्य हितधारक उपस्थित थे।
अपने संबोधन में खान मंत्रालय के सचिव वी.एल. कांता राव ने खनन क्षेत्र में भारत सरकार की विभिन्न पहलों और सुधारों को रेखांकित किया। उन्होंने राज्य सरकारों से लघु खनिज क्षेत्र में भी ऐसे सुधारों को करने का अनुरोध किया। इसके अलावा सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार ने एनजीडीआर (राष्ट्रीय भू-डेटा रिपॉजिटरी) पोर्टल के माध्यम से अन्वेषण पर व्यापक डेटा और सूचना उपलब्ध कराई है, जिससे सभी हितधारकों के लिए डेटा तक पहुंच सुगम हो गई है। केंद्रीय एजेंसियों से एकत्रित आंकड़ों पर आधारित इस पहल का उद्देश्य खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाना है।
वी.एल. कांथा राव ने लघु खनिज क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोगात्मक पहल का आह्वाहन किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला एक विचार-मंथन सत्र के रूप में कार्य कर रही है, जहां उद्योग जगत के प्रतिनिधि और राज्य सरकारें समाधान की खोज करती हैं।
कर्नाटक सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव और विकास आयुक्त डॉ. शालिनी रजनीश ने अपने मुख्य भाषण में ग्रेनाइट और संगमरमर खनन क्षेत्र में प्रशासनिक, तकनीकी और अन्य मुद्दों के समाधान की खोज के लिए सरकार और उद्योग के बीच सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खनन सहित कोई भी आर्थिक गतिविधि टिकाऊ होनी चाहिए। डॉ. शालिनी ने क्षेत्र की चुनौतियों का रचनात्मक ढंग से समाधान करने के लिए स्टार्टअप विचारों और नवोन्मेषी योगदान का स्वागत किया। इसके अलावा उन्होंने खनन क्षेत्र के महत्वपूर्ण हिस्सों के प्रबंधन, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और शिकायतों को कम करने के लिए आईटी प्लेटफार्मों के उपयोग पर भी जोर दिया।
इस कार्यशाला में उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न हितधारकों ने ग्रेनाइट और संगमरमर खनन के मुद्दों पर अपनी प्रस्तुतियां दीं। इसके बाद कर्नाटक, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य की सरकारों ने उद्योग संघ के उठाए गए मुद्दों पर अपनी प्रस्तुतियां दीं और ग्रेनाइट व संगमरमर खनिजों के विनियमन पर सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को भी रेखांकित किया।
इसके अलावा वाणिज्य मंत्रालय के डीपीआईआईटी के अधीन राष्ट्रीय सीमेंट और भवन निर्माण सामग्री परिषद् के संयुक्त निदेशक डॉ. बी पांडुरंगा राव ने भारत में ग्रेनाइट और संगमरमर उद्योग की भूमिका- सीमेंट और निर्माण क्षेत्र के संबंध में एक प्रस्तुति भी दी। वहीं, आईबीएम के मुख्य खान नियंत्रक पीयूष नारायण शर्मा ने खनन क्षेत्र में टिकाऊ विकास ढांचे और खानों की स्टार रेटिंग पर अपनी प्रस्तुति दी।