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कोटा लोकसभा चुनाव: ओम बिड़ला Vs प्रहलाद गुंजल, किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा

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नई दिल्ली, 03मई। कोटा लोकसभा क्षेत्र से मैदान में दो पहलवान आमने-सामने हैं. प्रहलाद गुंजल दो बार बीजेपी MLA रह चुके हैं. अब प्रहलाद ने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली है. अपने पूर्व पार्टी सहयोगी ओम बिड़ला से उन्हें कड़ी चुनौती का सामना करना है. इसके लिए ओम बिड़ला भी जमीनी स्तर के भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं (भाजपा) को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. ओम बिरला और प्रहलाद गुंजल की एक-दूसरे के खिलाफ कांटे की टक्कर मानी जा रही है.

गुज्जर नेता प्रहलाद गुंजल दो बार भाजपा से विधायक चुने गए थे. लेकिन अब कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उनकी एंट्री ने कोटा में चुनावी लड़ाई को दो प्रतिद्वंद्वियों के बीच “अहंकार के टकराव” में बदल दिया है. 63 वर्षीय गुंजल मार्च में कांग्रेस में शामिल हुए, उन्होंने आरोप लगाया कि कोटा में भाजपा की राजनीति में “सिर्फ एक व्यक्ति” का वर्चस्व था, वह अपना आत्म-सम्मान बनाए रखना चाहते थे.

कोटा में मुकाबला हाई-प्रोफाइल
प्रहलाद गुंजल पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कट्टर समर्थक रहे हं. गुंजल और बिड़ला के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में तेजी से कड़वे हुए. बिड़ला के सामने गुंजल को अपने उम्मीदवार के रूप में खड़ा करने के कांग्रेस के रणनीतिक कदम ने कोटा में मुकाबला हाई-प्रोफाइल हो गया है.

गुंजल के सिए अन्य पिछड़ा वर्ग पर भरोसा
कांग्रेस गुंजल के सिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) स्थिति पर भी भरोसा कर रही है, जो 20.88 लाख मतदाताओं के बीच दलितों और मुसलमानों के साथ एक मिलकर वोट डालने की संभावना जताई जा रही है.

बिड़ला का भाजपा की गारंटी पर जोर
बिड़ला दो बार के विधायक और 2014 से मौजूदा सांसद अपनी सार्वजनिक बैठकों के दौरान भाजपा की गारंटी पर जोर दे रहे हैं. वह लोकसभा क्षेत्र में शहरी मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे है. हाल ही में अपनी एक अभियान रैली में बिड़ला ने कहा कि कोटा में उनका चुनाव केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित करने का एक साधन होगा. मतदाताओं का एक वर्ग स्थानीय व्यापारिक समुदाय के सामने आने वाले मुद्दों को संबोधित करने में बिड़ला की अनिच्छा से नाखुश है.

क्या हैं बड़े मुद्दे
नेताओं के बीच हाई प्रोफाइल टकराव ने हाड़ौती क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों से भी ध्यान हटा दिया है. जिसमें फसल के नुकसान, किसानों पर कर्ज, कृषि संकट और कोचिंग कक्षाओं के छात्रों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती संख्या शामिल है, 2023 में कोटा के कोचिंग हब में रिकॉर्ड संख्या में 26 छात्रों ने आत्महत्या की. तिलम संघ और केशोरायपाटन की चीनी मिल जैसे संस्थानों के बंद होने से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम हो गए हैं. दोनों पक्ष आंतरिक कलह से निपटने में व्यस्त हैं.

राजे का गुट भाजपा के अभियान में शामिल होने के लिए अनिच्छुक दिख रहा है. अनुभवी कांग्रेस नेता शांति धारीवाल और उनके समर्थकों ने श्री गुंजल से दूरी बना रखी है. राजस्थान में चुनाव 19 और 26 अप्रैल को हो गए हैं. नतीजे 4 जून को आएंगे.