नई दिल्ली, 13अप्रैल। केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने निर्वाचन आयोग से नाराजगी जताई है. सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार (RTI) कानून के तहत मांगी गयी जानकारी निर्वाचन आयोग द्वारा नहीं दिये जाने पर ‘गहरी नाराजगी’ जताई है. इस आवदेन में चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर्स वेरीफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की विश्वसनीयता के सवाल पर प्रतिष्ठित नागरिकों द्वारा दिये गये ‘प्रतिवेदन’ पर की गयी कार्रवाई के बारे में पूछा गया था. सीआईसी ने इसे कानून का “घोर उल्लंघन” करार देते हुए निर्वाचन आयोग को लिखित स्पष्टीकरण देने का भी निर्देश दिया है.
ईवीएम और वीवीपैट एवं मतगणना प्रक्रिया की विश्वसनीयता को लेकर दिये गये प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल पूर्व आईएएस अधिकारी एमजी देवसहायम ने आरटीआई कानून के तहत आवेदन देकर आयोग से प्रतिवेदन पर की गयी कार्रवाई के बारे में पूछा था. प्रतिवेदन दो मई, 2022 को आयोग को भेजा गया था, जबकि देवसहायम ने 22 नवंबर, 2022 को आरटीआई आवेदन के माध्यम से आयोग से जानना चाहा कि किन-किन व्यक्तियों और अधिकारियों को प्रतिवेदन अग्रसारित किया गया था. उन्होंने इस मसले पर हुई किसी भी बैठक का विस्तृत ब्योरा और प्रासंगिक फाइल ‘नोटिंग’ की जानकारी भी मांगी थी.
निर्वाचन आयोग ने अनिवार्य 30 दिन की अवधि के भीतर उन्हें कोई जवाब नहीं दिया और वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष देवसहायम की पहली अपील भी नहीं सुनी गई. इसके बाद, उन्होंने आयोग से जवाब न मिलने का हवाला देते हुए दूसरी अपील के साथ सीआईसी का दरवाजा खटखटाया था. जब मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने पूछताछ की, तो निर्वाचन आयोग के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) इस बात पर संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे कि देवसहायम को कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया.
सामरिया ने कहा, ‘‘सुनवाई के दौरान मामले के रिकॉर्ड और दलीलों के अवलोकन के बाद आयोग आरटीआई अधिनियम के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर आवेदन का कोई जवाब न देने पर तत्कालीन पीआईओ के आचरण के प्रति गंभीर नाराजगी व्यक्त करता है. इसलिए, आयोग मौजूदा पीआईओ के माध्यम से तत्कालीन पीआईओ को निर्देश देता है कि वह आरटीआई के प्रावधानों के घोर उल्लंघन को लेकर अपना स्पष्टीकरण दाखिल करें.’’ उन्होंने कहा कि यदि चूक के लिए अन्य लोग भी जिम्मेदार हैं, तो सीपीआईओ उन्हें आदेश की एक प्रति देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे लोगों की लिखित दलीलें सीआईसी को भेजी जाएं.
सामरिया ने चुनाव आयोग को 30 दिनों के भीतर आरटीआई आवेदन पर बिंदुवार जवाब देने का भी निर्देश दिया. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) के प्राध्यापकों और सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों, पूर्व लोकसेवकों, जाने-माने तकनीकी पेशेवरों और शिक्षाविदों ने ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाते हुए निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा था.