नई दिल्ली, 26मार्च। मणिपुर हाईकोर्ट का 11वॉं स्थापना दिवस मनाया गया जिसमें अनुसुईया उइके राज्यपाल ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।
इस अवसर पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री सिद्धार्थ मृदुल न्यायाधीश ए. बिमोल सिंह, ए. अरिबम गुणेश्वर शर्मा, गोलमई . कबुई, एडव्होकेट जनरल लेनिन हीजम, एस. ब्रजबिहारी सिंह चेयरमेन बार काउन्सिल, वाय. निर्मोल चंद प्रेसीडेन्ट हाईकोर्ट बार एसोसियेशन,पी. तोमचा मैतेई प्रेसीडेन्ट आल मणिपुर बार एसोसियेशन
एडव्होकेट एवं अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय की स्थापना राज्य के लोगों की न्याय की मांग को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। न्यायाधीशों के बारे में उन्होंने कहा कि ”श्रीमद् भगवद् गीता“ के अनुसार एक न्यायाधीश ”उत्कृष्टता“ से संपन्न व्यक्ति होता है। वह पूर्ण निप्पक्ष और विनम्रता के भाव से संपन्न होता है। वह स्वयं अपने मन से कोई निर्णय नहीं करता अपितु वह पक्ष विपक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूतों, तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर न्याय संगत निर्णय करते हैं और इस प्रकार खुद को भगवान की इच्छा के सामने समर्पित कर देते हैं।
मुझे पूरा विश्वास है कि राज्य के उच्च न्यायालय की स्थापना से मणिपुर के लोगों के लिए न्याय तक पहुंच आसान और सस्ती हो गई है। डेमोक्रेसी शासन प्रणाली विश्व की सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली है जिसके तीन आधार स्तंभ हैं, जिसमें तीसरा महत्वपूर्ण पिलर न्याय पालिका है। एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका प्रजातंत्र की बैकवोन के समान होती है। इसलिये न्याय पालिका को सक्षम और निष्पक्ष होना चाहिए।
विधि का शासन लोकतंत्र को जीवित रखता है और यह भी उतना ही सच है कि स्वतंत्र न्याय पालिका को विधि एवं संविधान का शासन बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है।
वकील पीड़ित व्यक्ति का पक्ष न्यायालय के समक्ष रखने और उन्हें न्याय दिलाने के माध्यम बनते हैं। इसलिये उन्हें अपने क्लाइंट के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने व्यवसाय के आदर्श बनाए रखें और पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाने का प्रयास करें।
मुख्या न्यायाधीश ने हाईकोर्ट के नवाचार, कम्प्यूटरीकरण और प्रगति से अवगत कराया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।