नई दिल्ली, 08 मार्च। भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 (4) और अनुच्छेद 16 (4) के अंतर्गत पश्चिम बंगाल के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए अन्य पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची में जातियों/समुदायों को शामिल करने और क्रीमी लेयर को छोड़कर पश्चिम बंगाल सरकार के नियंत्रण वाले सार्वजनिक सेवाओं के पदों में नियुक्तियों के मामले में सुनवाई के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के साथ 03.11.2023, 22.12.2023, 16.01.2024, 08.02.2024 और 21.02.2024 को निर्धारित किया था। हालांकि इन, पांच अवसरों पर, पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव माननीय आयोग के सामने उपस्थित नहीं हुए।
राज्य सरकार के अनुरोध पर पहले ही पांच अवसर प्रदान किए जा चुके हैं। आयोग का मानना है कि मुख्य सचिव ने जानबूझकर इन समन की अवहेलना की है। आयोग द्वारा व्यक्तिगत उपस्थिति का पर्याप्त अवसर प्रदान करने के बावजूद आयोग के समक्ष मुख्य सचिव की उपस्थिति नहीं होने पर गहरा असंतोष और नाराजगी व्यक्त की है। हालांकि, उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों का यह प्राथमिक कर्तव्य है कि वे भारत के संविधान में निहित मूल्यों एवं नैतिकता का पालन करें। आयोग का मानना है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान की पवित्रता को कायम नहीं रखा।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार को एक बार फिर 15.03.2024 को दोपहर 12.30 बजे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, त्रिकूट-1, भीकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली-110066 के कोर्ट रूम में आयोग के समक्ष पेश होने और गवाही देने का अवसर प्रदान किया है। पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव को भी निर्धारित तिथि और समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोग के समक्ष वर्चुअल रूप से पेश होने की अनुमति प्रदान की गई है।
आयोग ने यह भी निर्णय लिया है कि अगर इस बार, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव आयोग के समक्ष उपस्थित होने में विफल रहते हैं, तो मुख्य सचिव को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश XVI के नियम 12 के अंतर्गत निर्धारित गैर-उपस्थिति परिणामों के अधीन माना जाएगा।