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सुप्रीम कोर्ट ने सनातन पर टिप्पणी को लेकर उदयनिधि स्टालिन को लगाई फटकार, कहा- पहले किया दुरुपयोग, अब मांग रहे राहत

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नई दिल्ली,04 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन को उनकी सनातन धर्म संबंधी टिप्पणी को लेकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने सोमवार को कहा कि आपने आर्टिकल 19 के तहत मिले अभिव्यक्ति के आजादी का दुरूपयोग किया.

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘आपने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन किया. अब आप आर्टिकल 32 के तहत कोर्ट से राहत चाहते हैं. आप कोई आम नागरिक नहीं हैं, आप एक मंत्री हैं. आपको ये पता होना चाहिए कि आपके बयान का क्या असर होगा.’

उदयनिधि स्टालिन ने लगाई है ये अर्जी
उदयनिधि स्टालिन ने देश के विभिन्न हिस्सों मसलन यूपी, बंगलोर, पटना, जम्मू में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़े जाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी, लेकिन स्टालिन की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्हें ऐसी सूरत में 6 हाई कोर्ट जाना होगा. ये दोषी साबित होने से पहले एक तरह से सजा देना होगा.

कोर्ट अगले हफ्ते करेगा सुनवाई
सिंघवी ने सुप्रीम कोर्च के पुराने फैसलों के हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने FIR जोड़े जाने का निर्देश दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट स्टालिन की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया. कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगा.

उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन के बेटे हैं. सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे खत्म कर देना चाहिए. उन्होंने सनातन की तुलना डेंगू, मलेरिया, कोरोना वायरस से की थी.

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लगाई थी याचिका
इस मामले पर हिंदू सेना के वकील बरुण सिन्हा ने कहा, ‘हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने एक जनहित याचिका दायर की थी. उस याचिका में उन्होंने उदयनिधि स्टालिन, असदुद्दीन ओवैसी, स्वामी प्रसाद मौर्य, राजद नेता चन्द्रशेखर और वीर बहादुर सिंह के खिलाफ एसआईटी से जांच की गुहार लगाई थी.’

उन्होंने कहा, ‘विष्णु गुप्ता ने अपनी अर्जी में कहा कि इन लोगों ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान सनातन धर्म और हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए थे. याचिका में इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने टैगिंग आदेश पारित कर दिया है.’