मणिपुर, 4 मार्च । उद्घाटन समारोह में बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि फिल्मों में महिलाओं की छवि ठीक से प्रस्तुत नहीं की जा रही है। उन्होंने निर्माताओं से महिलाओं को प्रस्तुत करते समय विशेष ध्यान रखने की अपील की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाएं केवल प्रस्तुति का माध्यम बनकर न रह जाएं। उन्होंने कहा, हमारी संस्कृति के अनुसार उनका पूरा व्यक्तित्व उजागर होना चाहिए।
राज्यपाल ने उत्तर पूर्व में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए थौना के प्रयासों की सराहना की और कहा कि थौना के प्रयास निश्चित रूप से उत्तर पूर्व भारत में सिनेमा के मानकों को बढ़ाने और युवा कलाकारों और तकनीशियनों को प्रोत्साहित करने में मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि अच्छी फिल्मों का प्रभाव समाज विशेषकर युवाओं के चरित्र निर्माण में कारगर होता है। व्यावसायिक फिल्में दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें अशांति और हिंसा जैसे अवांछनीय उद्देश्यों से भटकाने का प्रयास करती हैं। उन्होंने सभी फिल्म निर्माताओं से अच्छी फिल्में बनाने की अपील की जो युवाओं को अपने धर्म और संस्कृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करेगी।
राज्यपाल ने आगे कहा उत्तर पूर्व भारत की जनजातियों के पास एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और उनकी लोक कथाएँ प्रेम और बहादुरी की खूबसूरत कहानियों से भरी हैं जो जनजातियों पर फिल्में बनाने के लिए अच्छी पटकथा सामग्री हो सकती हैं। ऐसी फिल्मों से लोगों को आदिवासी समाज की उत्कृष्ट कला और संस्कृति को समझने का अवसर मिलेगा और उनका उज्ज्वल पक्ष आधुनिक समाज के सामने आएगा।
उद्घाटन समारोह में एम. जॉय सिंह, आयुक्त (आईपीआर), प्रो. एन.राजमुहोन सिंह, वीसी, डीएम यूनिवर्सिटी और प्रख्यात फिल्म निर्माता अरिबम श्याम शर्मा, फिल्म प्रेमी, अभिनेताओं ने भाग लिया।