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डूटा ने दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज में धरना और पूर्ण हड़ताल की।

सैकड़ों शिक्षकों ने दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विरोधी मॉडल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

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विजय कुमार,

डूटा ने सुश्री आतिशी के शिक्षा विरोधी पत्रों को वापस लेने की मांग की।

नई दिल्ली 22 फरवरी।दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों शिक्षकों ने आज दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में विरोध-प्रदर्शन किया और दिल्ली सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी 12 कॉलेजों में पूर्ण हड़ताल की। ​डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि डूटा सुश्री आतिशी के पत्रों की पूर्ण निंदा करता है और उन्हें खारिज करता है । शिक्षा मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के दिनांक 01.12.2023 और 19.01.2024 को उन्हें वापस लेने और बिना किसी देरी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों को पूरी धनराशि जारी करने के लिए कहा था लेकिन दिल्ली सरकार ने इस संदर्भ में अभी तक कोई उचित कार्यवाही नहीं की और न ही कॉलेजों को ग्रांट जारी किया । डूटा ने अपने आंदोलन को तेज करने और दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विरोधी मॉडल को जनता के सामने उजागर करने का संकल्प लिया। मांगें पूरी न होने पर मार्च से दिल्ली के अलग-अलग कोनों में इसी तरह के विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू करने का संकल्प लिया ।

डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर भागी ने शिक्षकों को बताया कि सुश्री आतिशी द्वारा दो पत्र लिखे गए थे, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में अवैध रूप से 939 शिक्षण पद सृजित किए गए हैं और इन 12 कॉलेजों में स्थायी रूप से काम कर रहे शिक्षकों के वेतन पर सरकार का करोड़ों पैसा खर्च किया गया है। प्रोफेसर भागी ने चिंता व्यक्त की इन 12 कॉलेजों में हमारे शिक्षक दशकों से तदर्थ आधार पर अपनी सेवाएं दे रहे और इन्हें वेतन मिल रहा था लेकिन पिछले कई सालों से दिल्ली सरकार समय पर ग्रांट जारी नहीं कर रही है । डूटा के अध्यक्ष प्रोफेसर ए.के. भागी ने कहा कि — ”फंड में कटौती और इन कॉलेजों को आर्थिक रूप से बीमार घोषित करने के साथ ये पत्र कॉलेज के कर्मचारियों और छात्रों के प्रति दिल्ली सरकार की बांह मरोड़ने की रणनीति के अलावा कुछ नहीं हैं। इसका उद्देश्य इन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को डॉ. भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय और कौशल विश्वविद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने के लिए सहमत करना है। उन्होंने बताया कि सरकार इन कॉलेजों को डिग्री देने वाले स्वायत्त कॉलेज के रूप में चाहती है। इसका मतलब है इन सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों को स्व-वित्तपोषित संस्थानों में परिवर्तित करना है जिसे डूटा कदापि नहीं होने देगा ।
डूटा सचिव अनिल कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि इन कॉलेजों के शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है. दिल्ली सरकार ने फंड में कटौती की है और चाहती है कि वेतन का भुगतान छात्रों की फीस के माध्यम से किया जाए जो कि यह न्यायोचित नहीं है । छात्रों के पैसे को हम शिक्षकों के वेतन में प्रयोग नहीं होने देंगे और जरूरत पड़ी तो जल्द ही कर्मचारियों व छात्रों को भी डूटा साथ लेगा ।

प्रोफेसर भागी ने शिक्षकों से कहा है कि दिल्ली सरकार से वित्त पोषित 12 कॉलेजों के एडहॉक शिक्षक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं । उन्होंने कई वर्षों तक इन कॉलेजों में पढ़ाया है और अब सुश्री आतिशी द्वारा उनकी नियुक्तियों और पदों को अवैध घोषित करना उन्हें अस्वीकार्य है जबकि यूजीसी से वित्त पोषित अधिकांश कॉलेजों में इन 12 कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है । दिल्ली सरकार ने शिक्षकों के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया है । एडहॉक शिक्षकों ने सवाल किया है कि शिक्षकों और शिक्षण स्थिति की अनुपस्थिति में दिल्ली सरकार शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया की कल्पना कैसे करती है ? दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में 12 कॉलेजों के शिक्षकों ने बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार विरोधी नारे लगाते हुए डीयू के शिक्षकों ने केजरीवाल से मांग की कि दिल्ली सरकार तत्काल पूर्ण अनुदान, स्वीकृत शिक्षण पद जारी करे और स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करे । डूटा अध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि यदि वह हमारी मांगें स्वीकार कर जल्द ही ग्रांट जारी नहीं करती है तो विश्वविद्यालय स्तर पर आंदोलन चलाया जायेगा ।