अरुणाचल प्रदेश में जीवन शैली प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व और इकोसिस्टम के संरक्षण का उदाहरण है, सभी को इसका अनुकरण करना चाहिए: उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली, 21 फरवरी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभी नागरिकों से अरुणाचल प्रदेश के लोगों द्वारा अपनाए गए इकोसिस्टम के संरक्षण के दृष्टिकोण का अनुकरण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आपका जीवन जीने का तरीका प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का उदाहरण है।” उपराष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश को “भारत का सूक्ष्म दर्शन” बताते हुए राज्य की प्राकृतिक सुंदरता की प्रशंसा की। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इसके “प्राचीन परिदृश्य, धुंध भरे पहाड़ों और हरे-भरे जंगलों” की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि इन विशिष्टताओं के कारण ही यह राज्य पर्यटकों के लिए स्वर्ग बन गया है।
उपराष्ट्रपति महोदय ने ईटानगर में आज राज्य की अपनी पहली यात्रा पर अरुणाचल प्रदेश के 38वें राज्य स्थापना दिवस दिवस समारोह को संबोधित किया। उन्होंने विश्वसनीयता और प्रामाणिकता के लिए राज्य की जैविक उपज की प्रशंसा की। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने ऐसी उपज के लिए मौजूद बड़े राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की उपलब्धता को मान्यता प्रदान करते हुए, विश्वास व्यक्त किया कि सरकारी योजनाओं को सक्षम करने से ऐसे संसाधनों की पहुंच का और विस्तार होगा।
उपराष्ट्रपति महोदय ने आठ पूर्वोत्तर राज्यों या ‘अष्ट लक्ष्मी’ का “भारत के आभूषण” के रूप में उल्लेख करते हुए, इस बात पर बल दिया कि भारत का सांस्कृतिक ताना-बाना इसके; पूर्वोत्तर क्षेत्र के बिना अधूरा है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और सड़क, रेल और हवाई संपर्क में “अभूतपूर्व और तेजी से वृद्धि” पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये परिणाम “भारत के बदलते स्वरूप” के साथ-साथ सहकारी संघवाद की भावना को प्रदर्शित करते हैं।
उपराष्ट्रपति महोदय ने भारत की विश्व की ‘कमजोर पाँच’ अर्थव्यवस्थाओं में से विश्व की ‘शीर्ष पाँच’ में से एक अर्थव्यवस्था बनने तक की यात्रा का उल्लेख करते हुए, देशों के समुदाय के बीच भारत के बढ़ते कद को रेखांकित किया। जी20 में भारत के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान ईटानगर में आयोजित जी20 अनुसंधान और नवाचार पहल बैठक ने राज्य की क्षमता को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया था।
उपराष्ट्रपति महोदय ने हाल के वर्षों में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होने वाले अरुणाचल प्रदेश के व्यक्तियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्तमान इकोसिस्टम में बिना किसी संरक्षण या भाई-भतीजावाद के योग्य लोगों को उनकी प्रतिभा के लिए पहचाना जा रहा है। उन्होंने युवाओं से भारत को “विकसित भारत@2047” की स्थिति तक ले जाने की दिशा में पैदल सैनिक के रूप में अपनी भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनायक (सेवानिवृत्त); अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, पेमा खांडू; केंद्रीय मंत्री, किरेन रिजिजू; अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री, चौना मीन; संसद सदस्य (राज्यसभा), सुश्री एस फांगनोन कोन्याक; अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष पासंग दोरजी सोना और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।