नई दिल्ली, 21 फरवरी। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो सालों से जंग जारी है. अब रूस ने ऐसा काम किया है जिससे भारत के कई लोगों में रोष बना हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने कई भारतीयों को हेल्पर के तौर पर काम देकर रूस बुलाया था और वहां पहुंचते ही इन लोगों को जंग के मैदान में उतरने के लिए मजबूर किया गया.
AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी नेआज विदेश मंत्री एस जयशंकर से उन तीन भारतीयों को बचाने का आग्रह किया, जिन्हें कथित तौर पर यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में लड़ने के लिए ‘मजबूर’ किया गया है.
ओवैसी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारतीयों को कथित तौर पर एक एजेंट ने धोखा दिया था और उन्हें सेना सुरक्षा सहायक के रूप में काम करने के लिए वहां भेजा था. तीनों भारतीय उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से हैं.
ओवैसी की जयशंकर से अपील
यह पहली बार है कि मौजूदा युद्ध में रूसी सेना के साथ लड़ने वाले भारतीयों की मौजूदगी की सूचना मिली है. जयशंकर को टैग करते हुए ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘कृपया इन लोगों को घर वापस लाने के लिए अपने अच्छे कार्यालयों का इस्तेमाल करें. उनकी जान खतरे में है और उनके परिवार वाजिब रूप से चिंतित हैं.’
मामला कैसे आया सामने?
रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपना आक्रमण शुरू किए हुए दो साल हो गए हैं और माना जाता है कि लगभग 18 भारतीय रूस-यूक्रेन सीमा पर फंसे हुए हैं. यह मामला तब सामने आया जब एक पीड़ित के परिवार के सदस्य, जो हैदराबाद से हैं उन्होंने ओवैसी से संपर्क किया. पिछले महीने, हैदराबाद के सांसद ने जयशंकर और मॉस्को में भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी.
पीड़ितों का दावा
ओवेसी ने पत्र में कहा, ‘उन्होंने 25 दिनों से अपने परिवारों से संपर्क नहीं किया है. उनके परिवार उनके बारे में बहुत चिंतित हैं और उन्हें भारत वापस लाने का इरादा रखते हैं, क्योंकि वे अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं.’ वहीं, पीड़ितों का दावा है कि रूसी सेना की तरफ से हथियार और गोला-बारूद संभालने का प्रशिक्षण दिया गया था और रूस-यूक्रेन सीमा पर रोस्तोव-ऑन-डॉन में बंदूक की नोक पर लड़ने के लिए मजबूर किया गया था.