शेर का नाम अकबर, शेरनी का सीता…भड़का विश्व हिंदू परिषद , मामला पहुंचा हाई कोर्ट, जानें क्या है पूरा मामला
नई दिल्ली,19फरवरी। वीएचपी का कहना है कि एनिमल पार्क में एक शेरनी का नाम ‘सीता’ और शेर का नाम ‘अकबर’ दिया गया है, इसको लेकर वो नाराज़ है. वहीं अधिकारियों ने इससे इनकार किया है.
सूत्रों के अनुसार अपनी याचिका में वीएचपी ने कहा है कि इस तरह के नाम रखना “बेतुका” और “तर्कहीन” है और ये “ईशनिंदा के बराबर” है.
मामले की सुनवाई 20 फरवरी को जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की अदालत में होनी है.
मामला ये है कि एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत 12 फ़रवरी को त्रिपुरा के सिपाहीजाला चिड़ियाघर से आठ जानवर सिलीगुड़ी के एनिमल पार्क में लाए गए थे. इनमें ‘अकबर’ और ‘सीता’ नाम के शेर-शेरनी शामिल थे.
वीएचपी का कहना है कि “जानवरों की अदला-बदली के बाद सिलीगुड़ी एनिमल पार्क ने शेरनी का नाम ‘सीता’ और शेर का नाम ‘अकबर’ रख दिया. ऐसा करके उन्होंने सनातन धर्म से जुड़ी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है.”
वीएचपी का कहना है कि संगठन के प्रतिनिधियों के कई बार वन विभाग के अधिकारियों से मुलाक़ात की और इसे लेकर विरोध जताया.
संगठन के जलपाईगुड़ी प्रमुख दुलाल चंद्र राय ने कहा, “ऐसा कैसे हो सकता है? क्या इससे हमारी धार्मिक भवनाएं आहत नहीं होंगी? हम एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर गए लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसलिए अब हमने कोर्ट का रुख़ किया है.”
वीएचपी ने अदालत से शेर और शेरनी का नाम बदलने की गुज़ारिश की है, साथ ही मांग की है कि जिसने ये नाम दिए हैं उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए.
तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पश्चिम बंगाल के वन मंत्री बीरबाहा हांसदा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वीएचपी “घटिया राजनीति” कर रही है.
उन्होंने कहा, “त्रिपुरा चिड़ियाघर से लाए गए जानवरों का नामकरण हमने नहीं किया है. ये कहना ग़लत है कि ये नाम हमने दिए हैं. औपचारिक तौर पर मुख्यमंत्री इन जानवरों के नाम देंगी. ये जानवर त्रिपुरा चिड़ियाघर से आए हैं, हो सकता है उन्होंने वहां पर इनके नाम दिए हों.”
अधिकारियों के अनुसार ‘अकबर’ सात साल आठ महीने का शेर है और ‘सीता’ पांच साल छह महीने की शेरनी है. दोनों को फिलहाल अलग-अलग बाड़े में रखा गया है. इन्हें कम से कम दो महीने बाद लोगों के देखने के लिए बाड़े में रखा जा सकता है.