नई दिल्ली,19फरवरी। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया में बच्चों के साथ क्रूरता का वीडियो किया पोस्ट, जबकि सोशल मीडिया में पीड़ित बच्चो की पहचान उजागर करना है अपराध , क्योंकि भारतीय कानून में बच्चों को पूरी तरह से प्रोटेक्ट किया गया है, पीड़ित बच्चों या अपराधिक गतिविधियों में शामिल बच्चों दोनों की ही पहचान प्रगट करने का किसी को अधिकार नहीं है। जेजे एक्ट 2015 और पोसको एक्ट 2012 के तहत ऐसे बच्चों की पहचान को प्रगट होने से सख्ती से रोका गया है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 74 के तहत और पोसको एक्ट की धारा 23 (2) तहत अपराध से पीड़ित या अपराध करने वाले बच्चे का नाम, चित्र, माता-पिता का नाम, पता या स्कूल या कोई भी और विवरण जिससे उसकी पहचान सार्वजनिक होती हो किसी भी संचार साधन या किसी भी प्रकार से प्रगट करना कानूनी अपराध है। इसकी उल्लंघना करने वाले को 6 महीने की कैद हो सकती है या दो लाख रुपए जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
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