नई दिल्ली, 14फरवरी। अपनी मांगों को लेकर किसान एक बार फिर आंदोलन पर हैं. किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं. हरियाणा और यूपी से लगी दिल्ली की सभी सीमाओं पर भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. सभी बॉर्डर पर कंटीले तार, बोल्डर और बैरिकेड लगाकर सुरक्षा चाक-चौबंद किया गया है. हालांकि पंजाब-हरियाणा की शंभू बॉर्डर पर किसानों का हंगामा जारी है. किसानों ने यहां कई बैरिकेड्स तोड़ डाले और ओवरब्रिज की रैलियों को भी निशाना बनाया. किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया है. हालांकि किसान रुकने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. सीमेंट के बैरिकेड्स हटाने के लिए किसान ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं. पुलिस वहां मुस्तैदी के खड़ी है और हर हालात का सामना करने को पूरी तरह से तैयार है.
इन मांगों को सरकार ने माना
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने किसानों की 13 में से 10 मांगे मांग ली हैं. सोमवार देर रात पांच घंटे की बैठक में कुछ मांगें मान ली गई थीं और फिर मंगलवार को भी कुछ मांगों पर सहमति बनी है. सरकार और किसान नेताओं के बीच 2 दौर की बातचीत हो चुकी है. सरकार ने इस दौरान 10 मांगे मान ली और 3 पर विचार-विमर्श करने का आश्वासन दिया है. मांग थी कि पहले के आंदोलनों में किसानों पर जो केस थे, उसे वापस लिए जाए.
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव ने सभी राज्यों के गृह सचिवों को पत्र लिखा और कहा कि किसानों के खिलाफ जो भी आंदोलन से संबंधित मामले हैं, उसे खत्म किया जाए. वहीं, लखीमपुर खीरी में घायल किसानों को मुआवजा दिये जाने की मांग भी सरकार ने मान ली है. सरकार ने लखीमपुर खीरी के सभी हॉस्पिटल से जानकारी मांगी है. फाइनल लिस्ट आते ही घायल उन सभी किसानों को पैसा दे दिया जाएगा. पहले भी अधिकतर किसानों को पैसा दिया जा चुका है.
इन मांगों को पूरा करने का आश्वासन
MSP: सरकार ने जिन तीन मांगें पूरी करने का किसानों को आश्वास दिया है उनमें MSP,कर्ज माफी और जमीन का किराया शामिल हैं. MSP गारंटी कानून सरकार पर सरकार ने कहा कि इसे लेकर सबसे बात करनी होगी. केवल केंद्र सरकार अकेले इसका फैसला नहीं ले सकती. राज्य सरकारों से बात करनी होगी. उनको तैयार होना होगा.
कर्ज माफी: सरकार की तरफ से किसान सम्मान निधि के तहत हर साल 75,000 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं. 5 साल में 3.5 लाख करोड़ से ज्यादा दिया जा चुका है. कर्ज माफी जैसे लोक लुभावन शब्दों से भी ज्यादा सरकार ने दे दिए हैं और ये जारी है.
जमीन का किराया यानी खेत का किराया: सरकार का कहना है कि अगर ऐसा होगा तो देश मे एक MSP कैसे लागू होगा. हर खेत का, हर राज्य में, हर इलाके में अलग-अलग रेट होता है. कानूनी पहल इसका अलग है. इसके लिए राज्य सरकारों, खेती किसानी में लगी मार्केटिंग कम्पनियों और अन्य संस्थाओं से बात करनी होगी.
क्या है किसानों की मांग?
सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बने.
डॉक्टर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो.
किसान और खेत में काम करने वाले मजदूरों का कर्जा माफ हो.
60 साल से ऊपर के किसानों को 10 हजार रुपये पेंशन दी जाए.
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए.
लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए.
मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए.
विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए.
मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपये दिहाड़ी दी जाए.
किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी मिले.
नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां और खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए.
मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
संविधान की 5वीं सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए.
ट्रैक्टर से सीमेंट के अवरोधक हटाने का प्रयास
किसानों ने अंबाला में शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. कुछ किसानों ने ट्रैक्टर की मदद से सीमेंट के अवरोधक हटाने का प्रयास किया. अधिकारियों ने कहा कि हरियाणा पुलिस द्वारा बैरिकेड से दूर रहने की अपील के बावजूद, कई युवा पीछे नहीं हटे और बैरिकेड के ऊपर खड़े रहे. उन्होंने बताया कि जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने लोहे का बैरिकेड तोड़ दिया और उसे घग्गर नदी के पुल से नीचे फेंकने की कोशिश की, तो पुलिस ने आंसू गैस के कई गोले छोड़े.