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आजादी की आड़ में हमारी संस्कृति का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी सरकार- अनुराग सिंह ठाकुर

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आधारित पुस्तक "ओवर द टॉप माया जाल" आईजीएनसीए में की गई जारी

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नई दिल्ली, 10 फरवरी। वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय द्वारा लिखित पुस्तक ‘ओवर द टॉप का मायाजाल’ का आज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के समवेत सभागार में विमोचन किया गया। पुस्तक का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अम्बेकर, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए, अनुराग ठाकुर ने जिम्मेदारी और मनोरंजन के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ओटीटी प्लेटफार्मों के साथ चल रहे संचार पर जोर दिया। अनुराग ठाकुर ने स्वस्थ समाज के लिए स्वस्थ मनोरंजन के महत्व पर जोर दिया और ‘स्व-नियमन’ की अवधारणा का समर्थन किया। हालाँकि, उन्होंने आगाह किया कि ‘स्व-नियमन’ का अभ्यास करने वालों को अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। अनुराग ठाकुर ने ओटीटी प्लेटफार्मों को सरकारी समर्थन देने का वादा किया, जिसका लक्ष्य उद्योग के विकास को बढ़ावा देना है और यह सुनिश्चित करना है कि सामग्री सामाजिक मानदंडों का पालन करे। उन्होंने अभद्र या सांस्कृतिक रूप से असंवेदनशील सामग्री के लिए ‘स्व-नियमन’ का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी और ऐसे उल्लंघनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। अनुराग ठाकुर ने स्पष्ट किया कि कलात्मक स्वतंत्रता को सामाजिक मूल्यों को कमजोर नहीं करना चाहिए या अश्लीलता को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

पुस्तक विमोचन के दौरान, सुनील अम्बेकर ने लोकतंत्र की समावेशी प्रकृति पर जोर देते हुए और जानकारीपूर्ण चर्चा पर जोर देते हुए, मानार्थ और सीमित विचारों को संतुलित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय भाषाओं और रचनात्मकता को बढ़ावा देने, अनुचित आलोचना के प्रति आगाह करने और जिम्मेदार सामग्री निर्माण की वकालत करने के लिए ओटीटी प्लेटफार्मों की सराहना की।सुनील अम्बेकर ने सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील मनोरंजन उत्पादन की आवश्यकता पर बल देते हुए, कला के त्योहारों की भूमि के रूप में भारत की स्थिति का भी उल्लेख किया। इसके अनुरूप, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मनोरंजन उद्योग सहित सामाजिक उत्पादन को धर्म और संस्कृति के मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने भारत में ओटीटी सामग्री के निर्माण के माध्यम से क्षेत्रीय भाषाओं के महत्वपूर्ण विस्तार का हवाला देते हुए आगे कहा कि सकारात्मक सामाजिक चर्चा से बेहतर परिणाम मिलते हैं।

डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने अपने उद्बोधन के दौरान अनंत विजय की पुस्तक को बार-बार पढ़ने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने उपस्थित सभी पत्रकारिता प्रोफेसरों से संचार के कुछ तरीकों के हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए पुस्तक को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया।

समाज। डॉ. जोशी ने ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए नियामक उपायों पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. जोशी ने यह दोहराते हुए निष्कर्ष निकाला कि पुस्तक समकालीन प्रासंगिकता की है।

पुस्तक के लेखक अनंत विजय ने ओटीटी प्लेटफार्मों के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं की संतुलित खोज पर प्रकाश डाला। उन्होंने पुस्तक में भारतीय भाषाओं के विस्तार के कवरेज पर गौर किया। इसके अलावा किताब में ओटीटी प्लेटफॉर्म किस तरह असंस्कृत सामग्री को बढ़ावा दे रहे हैं, इस पर भी चर्चा की गई है। अनंत विजय ने इतने गंभीर विषय पर पहली पुस्तक होने के महत्व पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने किया और समापन पीयूष कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।