नई दिल्ली,22 जनवरी। आज अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन है. पूरे देश में राम भजन गाया जा रहा है. इसी बीच भजन पर रोक लगाने से जुड़ी एक याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने सुनाई की. हाईकोर्ट ने कहा कि राम भजन गाना, ‘राम नाम’ लेने पर कोई रोक नहीं, बस कानून व्यवस्था को बिगाड़े बिना ऐसा किया जाना चाहिए. दरअसल, मद्रास में एक प्राइवेट हॉल में राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण की इजाजत नहीं दी गई. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
अदालत ने राज्य की इस दलील पर ध्यान दिया कि शुभ समारोह के दौरान समारोह आयोजित करने, भजन गाने, राम नाम और अन्नधनम बोलने पर कोई रोक नहीं है. हालांकि अदालत ने कहा कि किसी भी कानून और व्यवस्था की समस्या से बचने के लिए इसे जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए.
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और पुलिस द्वारा उठाए गए उपरोक्त रुख से यह स्पष्ट हो जाता है कि शुभ अवसर को ध्यान में रखते हुए समारोह आयोजित करना, भजन गाना / राम नाम / अन्नधनम का उच्चारण करना प्रतिबंधित नहीं है और यह ध्यान में रखना चाहिए कि यह सब किसी भी कानून और व्यवस्था की समस्या को जन्म दिए बिना आज जिम्मेदार और पवित्र तरीके से किया जाएगा.
अदालत ने कहा कि ये सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा जाना चाहिए कि कोई गलत सूचना या गलत जानकारी नहीं फैलाई जा रही है और यह समझा जाना चाहिए कि भक्ति शांति लाने के लिए है न कि समाज के संतुलन को बिगाड़ने के लिए.
आगे कहा कि किसी भी गलत सूचना को फैलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
सुनवाई के दौरान, पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि मंदिर के उद्घाटन का सीधा प्रसारण आयोजित करने के लिए आवश्यक अनुमति दी गई थी. इस पर अदालत ने कहा कि निजी स्थानों पर और हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के नियंत्रण वाले मंदिरों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पुलिस की अनुमति आवश्यक नहीं है, कार्यकारी अधिकारी को पूर्व सूचना देना आवश्यक है.
राज्य ने अदालत को सूचित किया था कि निजी परिसरों में आयोजित कार्यक्रमों, भजनों और अन्नधनमों के लिए पुलिस की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है और उद्घाटन की लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी आयोजकों पर छोड़ दी गई है.
राज्य ने अदालत को आगे बताया कि जहां आम जनता की पहुंच वाले स्थान पर अत्यधिक भीड़ होने की संभावना हो, तो इसकी सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए ताकि वे कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए आवश्यक उपाय कर सकें। और सुनिश्चित करें कि आम जनता के आवागमन में कोई व्यवधान न हो.
राज्य ने अदालत को ये भी सूचित किया कि अगर पुलिस की राय है कि कोई विशेष क्षेत्र संवेदनशील है, तो पुलिस प्रतिबंध लगाने और यह सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र है कि समारोह से कोई अनावश्यक कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा न हो.