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प्रकृति पर श्रेष्ठता की भावना एक मूलभूत गलती है, जो मानवता के लिए सभी पर्यावरणीय संकटों का अग्रदूत है : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव

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नई दिल्ली, 9 दिसंबर।केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि आज के युवा कल पृथ्वी के संरक्षक होंगे और इसे बचाने के प्रयासों में उनकी भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जलवायु पर बातचीत को आगे बढ़ाने में युवाओं के इस महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार युवाओं के जीवन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को प्राथमिकता देती है।

संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में सीओपी 28 शिखर सम्मेलन स्थल के इंडिया पवेलियन में पर्यावरण के लिए जीवनशैली पर युवा की क्रियाशीलता (लाइफ मिशन) पर आयोजित एक कार्यक्रम में भूपेन्द्र यादव ने कहा कि युवा और बच्चे पर्यावरण के बारे में गहराई से विचार करते हैं जबकि पुरानी पीढ़ी में इसको लेकर कमी देखी गई है।

भूपेन्द्र यादव ने कहा कि आज दुनिया में दो विचार चल रहे हैं। एक जलवायु सर्वनाश विचारधारा है जो मानती है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानव सभ्यता का पतन निश्चित है। हालांकि, तकनीकी केंद्रित वैश्विक दृष्टिकोण वाले लोग भी हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक को मानने वाले प्रौद्योगिकी और पर्यावरण को नियंत्रित करने और उसकी रक्षा करने की उसकी क्षमता को अंतिम सत्य मानते हैं। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि अंततः तकनीकी हम सभी को जलवायु परिवर्तन से बचाने में कामयाब होगी।

हालांकि भूपेन्द्र यादव ने इस ओर ध्यान दिलाया कि सच्चाई कहीं बीच में है। भूपेन्द्र यादव ने कहा कि अगर हम तत्काल जलवायु अभियान की ओर नहीं बढ़ते हैं, तो हमारा अंत निश्चित है। तकनीकी समाधान तो देती है, लेकिन यह अलग से काम नहीं कर सकती।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तकनीकी समाधानों को पर्यावरणीय चेतना के साथ जोड़ना होगा और हमारे लिए दुनिया को बचाने का यही एकमात्र तरीका है। इसमें युवाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि जब लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने की बात आती है, तो हमें ‘युवा को ही फोकस’ करना होगा।

भूपेन्द्र यादव ने प्रकृति के साथ मनुष्य के संबंध पर प्रकाश डाला और कहा कि अनियंत्रित औद्योगीकरण व तेजी से शहरीकरण ने हमें प्रकृति से दूर कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि इस दूरी के नकारात्मक पहलू ने हमें यह भुला दिया है कि हम प्रकृति के साथ एक हैं। हम एक बड़े पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं, जिसमें जानवर, पक्षी, नदियां, पहाड़, पेड़ और अन्य जीवन भी शामिल हैं। हमें प्रकृति से अलग देखना और श्रेष्ठता की भावना वह मूलभूत गलती थी जो मानवता के लिए सभी पर्यावरणीय संकटों का अग्रगामी रही है।

जहां तक पर्यावरण संरक्षण का सवाल है, इस पीढ़ी और पिछली पीढ़ियों का ट्रैक रेकॉर्ड बहुत बढ़िया नहीं रहा है। इस विफलता और जलवायु परिवर्तन व पर्यावरणीय गिरावट से सबसे ज्यादा पीड़ित बच्चे, महिलाएं, दिव्यांग और दुर्लभ संसाधनों वाले सबसे गरीब, दूरदराज के कम संसाधनों वाले समाज के लोग हैं।

भारत सरकार की कार्यपद्धति पर प्रकाश डालते हुए भूपेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार का मानना है कि पर्यावरण की न केवल रक्षा की जानी है बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा िक यह कार्य कुछ लोगों द्वारा नहीं किया जा सकता है। इसमें पृथ्वी पर रहने वाले 8 अरब लोगों की व्यक्तिगत भागीदारी की आवश्यकता है।

भूपेन्द्र यादव ने विवेकहीन और विनाशकारी उपभोग से सचेत रहने और आदर्श बदलाव के माध्यम से एक स्थायी जीवनशैली की बात की। पर्यावरण के लिए जीवनशैली में निहित उद्देश्य पर मंत्री ने लोगों को अपने कार्यों के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने के लिए आमंत्रित किया ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि क्या यह समस्या में योगदान देते हैं या समाधान में मदद करते हैं।

पर्यावरण के लिए जीवनशैली मिशन (लाइफ) के परिणाम बहुत उत्साहजनक रहे हैं। इस ‘लाइफ’ आंदोलन के लॉन्च के बाद से भारत ने काफी प्रगति की है और पिछले वर्ष में सरकार ने मिशन लाइफ से युवाओं के प्रभुत्व को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

युवाओं में पर्यावरण क्रांति लाने की शक्ति है। उन्होंने युवाओं से स्थायी जीवनशैली और व्यक्तिगत कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए 7 उपायों का पालन करने का आह्वान किया। जैसे पानी बचाएं, ऊर्जा बचाएं, अपशिष्ट कम करें, ई-कचरा कम करें, एकल-उपयोग प्लास्टिक को कम करें, टिकाउ खाद्य प्रणाली अपनाएं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के ‘लाइफ’ पहल के विश्लेषण का हवाला देते हुए भूपेन्द्र यादव ने कहा कि दुनिया भर में ‘लाइफ’ संरेखित उपायों को अपनाकर 2 बिलियन टन सीओ-2 उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।

इस कार्यक्रम में भारत के चार युवा जलवायु लीडर्स – माहिया कुलसुम, अर्केश केदार शेनॉय, मंजूषा मनचाला और अश्विनी कुमार पईतल की भागीदारी देखी गई, जिन्हें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता पर उनके असाधारण प्रयासों के लिए पहचाना गया है।

यूनिसेफ के निदेशक कार्यक्रम जॉर्ज लारिया-अदजेई ने दुनिया भर के एक अरब बच्चों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर प्रकाश डाला और कहा कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न विश्वव्यापी चुनौतियों की अग्रिम पंक्ति में बच्चे और युवा हैं।

यूनिसेफ और युवाह/जेन यू भारत सरकार के साथ काम कर रहे हैं, ताकि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण में गिरावट पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने और अपने, अपने परिवारों और अपने समाज के लिए समाधान तलाशने के लिए युवाओं को शामिल करने और उनकी क्षमता को बेहतर बनाने के लिए काम किया जा सके।

वैश्विक स्तर पर, सीओपी-28 के दौरान हमारे युवा जलवायु अभियान ‘ग्रीन राइजिंग’ और ‘ग्रीन राइजिंग इंडिया अलायंस’ (जीआरआईए) की शुरुआत, सामूहिक प्रभाव के लिए सार्वजनिक-निजी युवाओं को साथ लाने के हमारे प्रयासों को मजबूत करता है।

‘लाइफ’ मिशन का जिक्र करते हुए आईईए की उप कार्यकारी निदेशक मैरी बर्स वार्लिक ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के ‘लाइफ’ पहल के विश्लेषण से पता चलता है कि दुनिया भर में ‘लाइफ’-संरेखित उपायों को अपनाकर दो अरब टन सीओ-2 उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। उन्होंने टिकाउ विकल्पों का समर्थन करने में नीति की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

आईईए में पावर सेक्टर से जुड़े मॉडल बनाने वाले थॉमस स्पेंसर ने आईईए की रिपोर्ट पेश की, जिसमें ‘लाइफ’ को लागू करने के लिए टूलकिट नीति पर फोकस किया जो ‘लाइफ’ के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए एक ठोस रोडमैप प्रदान करता है। उन्होंने व्यावहारिक परिवर्तन और उपयोगी विकल्पों का समर्थन करने वाली नीति की भूमिका को रेखांकित किया।

यह कार्यक्रम यूनिसेफ, उसके सार्वजनिक-निजी-युवा भागीदारी मंच YuWaah (वैश्विक स्तर पर जेनरेशन अनलिमिटेड के रूप में जाना जाता है) और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के सहयोग से आयोजित किया गया था।

इस वर्ष सितंबर में आयोजित युवाओं के स्थानीय सम्मेलन (एलसीओवाई) में 130 से अधिक युवाओं द्वारा तैयार किए गए भारत राष्ट्रीय युवा वक्तव्य को प्रस्तुत करते हुए ब्रिंग बैक ग्रीन (बीबीजी) फाउंडेशन के अखिलेश अनिल कुमार ने कहा कि युवाओं के नेतृत्व वाले पर्यावरण के अनुकूल स्टार्टअप के लिए वित्तीय मदद से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में युवाओं और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

युवाओं द्वारा प्रदर्शित प्रस्ताव में पर्यावरणीय मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें भूजल संरक्षण, शून्य अपशिष्ट व्यवस्था, स्वच्छ वायु की पहल, कृषि वानिकी, जैव विविधता संरक्षण, बीज बैंकिंग, कार्बन कैप्चर, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, मैंग्रोव पुनर्स्थापन, वनीकरण, भूमि क्षरण की रोकथाम, जलवायु-लचीला योजना और नगरपालिका सहयोग शामिल है।

सीओपी26 और सीओपी27 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए मिशन ‘लाइफ’, मेरी ‘लाइफ’ प्लेटफॉर्म और ‘इन अवर लाइफटाइम’ अभियान पर यह कार्यक्रम आधारित है। इस कार्यक्रम ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और उन्हें वैश्विक जलवायु परिवर्तन वार्ता में शामिल करने के लिए युवा और उभरते लीडर्स को सक्रिय रूप से शामिल करने की भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।