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मायावती ने केंद्र पर लगाया आरोप, कहा- मोदी सरकार ने 81 करोड़ लोगों को सरकारी अनाज का ‘मोहताज’ बनाया.

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नई दिल्ली, 6दिसंबर। बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर तंज करते हुए कहा कि देश के 81 करोड़ से ज्यादा लोगों को सरकारी अनाज का ‘मोहताज’ बना दिया है. ये ना तो आजादी के बाद का सपना था और ना ही संविधान बनाते समय बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने सोचा था. मायावती ने यह भी कहा कि हाल के चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम से ऐसा लगता है कि सरकारी अनाज के ‘मोहताज’ बनाए गए यह दबे-कुचले और उपेक्षित लोग अपनी बदहाली से खुश नहीं है, लेकिन क्या वे इतना साहस भी नहीं दिखा पा रहे हैं कि चुनाव में अपना विरोध दर्ज कराकर ‘सर्वजन हिताय, सर्जन सुखाय’ की नीतियों पर चलने वाली सरकार चुनने का सार्थक प्रयास कर सकें.

मायावती ने आंबेडकर के 67वें ‘परिनिर्वाण दिवस’ पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘लगभग 140 करोड़ की विशाल आबादी वाले भारत के गरीबों, मजदूरों, दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों सहित उपेक्षित बहुजनों के मसीहा व देश के मानवतावादी समतामूलक संविधान के निर्माता भारतरत्न परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को आज उनके ‘परिनिर्वाण दिवस’ पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित.’’ उन्होंने इसी सिलसिले में एक अन्य पोस्ट में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर तंज करते हुए कहा, ‘‘देश के 81 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न के लिए मोहताज बना देने जैसी दुर्दशा ना यह आजादी का सपना था और ना ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुःखद है.’’

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है. कोरोना काल में लॉकडाउन से प्रभावित गरीबों की मदद के लिए इस योजना को शुरू किया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में पिछले हफ्ते मंगलवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे गई. इस योजना के तहत गरीबों को हर महीने पांच किलो राशन मुफ्त दिया जाता है.

मायावती ने बाद में एक बयान जारी कर कहा कि विभिन्न चुनाव परिणाम से लगता है कि सरकारी अनाज के ‘‘मोहताज’’ बनाए गए लोग अपनी बदहाली से खुश नहीं हैं लेकिन क्या अब वे लोग इतना साहस भी नहीं दिखा पा रहे हैं कि चुनाव में अपना विरोध दर्ज कराकर ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीतियों पर चलने वाली सरकार चुनने का सार्थक प्रयास कर सकें?

उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव के समय माहौल अलग होता है लेकिन चुनाव परिणाम उससे बिल्कुल अलग आते हैं. ऐसा क्यों और कैसे? यह भी एक नया मुद्दा है जिस पर जनचिंतन जरूरी है. वास्तविक चिंता यह है कि सरकार की गलत नीतियों और कार्यक्रमों के कारण करीब 100 करोड़ गरीब, मजदूर, अशिक्षित लोगों को और पीछे धकेला जा रहा है. क्या सरकारी दावों के मुताबिक इन लोगों के बल पर ही भारत को विकसित देश बनने का सपना देखा जा सकता है?’’

उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के हाल के विधानसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की तरह इशारा करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘इन परिणामों को देखकर पछताने के बजाय चुनावी सफलता हासिल करने में अपनी पूरी ताकत लगाना बेहद जरूरी है. नहीं तो संकीर्ण, जातिवादी और सांप्रदायिक सोच वाली ताकतें सत्ता को उसके हकदारों से दूर रखने में सफल होती रहेंगी.’’