नई दिल्ली, 10नवंबर। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने गुरूवार को राष्ट्रीय खेलों के वर्तमान संस्करण में खेलों की संख्या में बढ़ोतरी की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप जोर देकर कहा कि पारंपरिक खेलों की शुरूआत से भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान हुआ है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, वह कल्पना करते हैं कि इन पारंपरिक खेलों को ओलंपिक मंच पर अच्छी पहचान मिलेगी।
राष्ट्रीय खेलों के 37वें संस्करण के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि खेलों के प्रति माता-पिता के दृष्टिकोण में बुनियादी बदलाव आया है। उन्होंने कहा, “वो दिन गए जब खेलों में बच्चों की विस्तृत भागीदारी को लेकर माता-पिता चिंतित रहते थे। उन्होंने कहा, खेल मानव प्रतिभा की अभिव्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग बन गए हैं”।
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय नेतृत्व की भूमिका को भी स्वीकार किया, जिसने हमारे एथलीटों का मार्गदर्शन करने और 2036 में ओलंपिक की मेजबानी के लिए भारत की दावेदारी में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने ‘खेलो इंडिया’ पहल की भी सराहना की, जिसके कारण गांवों में स्टेडियम खोले गए हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा, “अगर भारत फिट होगा तो वह आगे बढ़ सकता है”।
खिलाड़ियों की यात्रा में प्रशिक्षकों की निर्णायक भूमिका पर जोर देते हुए और उन्हें “द्रोणाचार्य” की तरह बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे एथलीटों को सर्वोत्तम गुणवत्ता की कोचिंग मिले, सरकार के अति सक्रिय कदमों पर प्रकाश डाला ।
उपराष्ट्रपति ने ‘अमृत काल’ को ‘गौरव काल’ बताते हुए भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों पर दुनिया के आश्चर्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से उस ऐतिहासिक क्षण का उल्लेख किया जब भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारने वाला पहला देश बना। श्री धनखड़ ने भारत की असाधारण आर्थिक प्रगति पर प्रकाश डाला, यह देखते हुए कि देश ने 2022 में पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल किया। उन्होंने आगे आशा व्यक्त की कि भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर- एक भारतीय बाइसन, मोगा का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह कभी पीछे मुड़कर नहीं देखने और हमेशा आगे बढ़ने के गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये गुण “प्रत्येक खिलाड़ी के सीखने” के लिए आवश्यक हैं।
महिला सशक्तीकरण के महत्व को स्वीकार करते हुए, उपराष्ट्रपति ने बड़ी संख्या में पदक जीतने के लिए महिलाओं की प्रशंसा की। उन्होंने हाल ही में संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने की भी सराहना की, जो इसकी संकल्पना के 30 साल बाद हासिल किया गया एक मील का पत्थर है। उपराष्ट्रपति ने उद्योग और निजी क्षेत्र से खिलाड़ियों का सहयोग करने की अपील की और कहा कि खिलाड़ियों का सहयोग करने से “देश उनके साथ बहुत बड़ा न्याय करेगा”। कार्यक्रम के दौरान, उपराष्ट्रपति ने मेधावी खिलाड़ियों को पदक भी प्रदान किए और राष्ट्रीय खेल-2023 के सफल आयोजन के लिए टीम अधिकारियों और गोवा प्रशासन को सम्मानित किया।
इस कार्यक्रम में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्य मंत्री श्री श्रीपाद नाइक, गोवा के राज्यपाल श्री पी.एस. श्रीधरन पिल्लई, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, सांसद और भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष डॉ. पी.टी.उषा, गोवा के खेल मंत्री श्री गोविंद गौडे और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।