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“प्रत्येक बच्चे की विशिष्ट आवश्यकताएँ होती हैं; प्रत्येक बच्चा अलग-अलग तरह का होता है; ‘एक आकार-सभी के लिए ठीक’ वाला दृष्टिकोण काम नहीं करता है”: उपराष्ट्रपति धनखड़

पुरुषों को विशेष बच्चों की देखभाल में अपने जीवनसाथी के साथ जिम्मेदारी साझा करनी चाहिए- उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली, 30 अक्टूबर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास एक साथ होने चाहिए ताकि, “वे अपने स्वत्व और समावेशन की भावना को प्राप्त कर सकें”। उन्होंने सभी से ऐसे भविष्य की दिशा में रास्ता बनाने की भी अपील की, जहां हम इस श्रेणी के बच्चों के लिए विश्व को सुरक्षित और सार्थक बना सकें।

नई दिल्ली में हिगाशी ऑटिज्म स्कूल के उद्घाटन समारोह में एक सभा को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह मां ही है, जो विशेष जरूरतों वाले बच्चों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए हर सुविधा का त्याग करते हुए, सभी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेती है। इसलिए,उन्होंने पुरुष वर्ग से “मिशनरी मोड में अपने जीवनसाथी और साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर” काम करने का आह्वान किया, जब बच्चे को ऑटिज्म की चुनौती का सामना करना पड़ता है और उसे मदद की आवश्यकता होती है। उन्होंने चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने साथी को अकेला न छोड़ने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान उन्हें छोड़ना “मानव जाति का सदस्य होने का आपका अधिकार छीन लेगा”।

यह देखते हुए कि ‘एक आकार-सभी के लिए ठीक’ वाला दृष्टिकोण तब काम नहीं करता, जब कोई बच्चा ऑटिज्म की चुनौती का सामना कर रहा हो,  धनखड़ ने जोर देकर कहा कि “प्रत्येक बच्चे की विशिष्ट ज़रूरतें होती हैं, हर बच्चाअगल-अलग तरह का होता है” और बच्चों को व्यापक दुनिया से जोड़ने परजोर दिया, चाहे वे अपने निजी व्यक्तित्व में बहुत सी चुनौतियों कासामना क्यों ना कर रहे हों।

योग थेरेपी (आईएवाईटी) और दैनिक जीवन थेरेपी के लिए एकीकृत दृष्टिकोण वाले पाठ्यक्रम की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को सशक्त बनाने के लिए ऐसे दृष्टिकोणों को प्रभावशाली जरिया बताया, ताकि “वे सफल और अपने समाज में दिलचस्पी लेने वाले सदस्य बन सकेंऔर अपने परिवारों में जहां निराशा और हार का माहौल है, वहां प्रतिष्ठा ला सकें।”

यह देखते हुए कि यह टोक्यो और बोस्टन के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरा हिगाशी ऑटिज्म स्कूल है, उपराष्ट्रपति ने इसे “हम सभी के लिए एक ऐसे वातावरण को विकसित करने के लिए एकजुट होकर संकल्प लेने का उपयुक्त अवसर” के रूप में मनाया, जहां ऑटिज्म से पीड़ित हर बच्चे को प्रोत्साहन दिया जाता है। उन्होंने ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के कल्याण के के लिएस्कूल की अध्यक्ष सुश्री रश्मी दास की अटूट प्रतिबद्धता की भी प्रशंसा की।

विद्यालय दौरे को स्वयं से गहन वैराग्य और दूसरों की भलाई के प्रति मजबूत लगाव को दर्शाने वाली ‘आध्यात्मिक यात्रा’से कम कुछ नहीं बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से अपना सब कुछ देने के लिए शिक्षकों की- प्रत्येक बच्चे के भीतर मौजूद असीमित क्षमता का दोहन करने की निरंतर खोज करने के लिए- सराहना की।इस अवसर पर, विशेष बच्चों द्वारा अपने शिक्षकों के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुति भी दी गई।

इस कार्यक्रम में, आरएसएस सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले, हिगाशी ऑटिज्म स्कूल की अध्यक्ष डॉ. रश्मी दास,संकाय सदस्य,अभिभावक और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।