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हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का चेन्नई के एक अस्पताल में निधन

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चेन्नई, 28सितंबर। देश में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का निधन हो गया है. चेन्नई के एक अस्पताल में उन्होंने 98 साल की उम्र की अंतिम सांस ली. स्वामीनाथन को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था. स्वामीनाथन भारत ही नहीं दुनिया भर में मानव हित में किए गए कार्यों के लिए जाने जाते हैं. उन्हें 84 डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी जिनमें से 24 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने दी थी. भारत सरकार ने 1967 में पद्म श्री, 1972 में पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

मिली जानकारी के अनुसार, प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले एम एस स्वामीनाथन 98 वर्ष के थे. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके परिवार में तीन बेटियां हैं. एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया कि उनका कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था.

डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने फोन पर बताया, हरित क्रांति के जनक ने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली. पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन ने 1960 के दशक में भारत को अकाल जैसी परिस्थितियों से बचाने के लिए अपनी नीतियों के माध्यम से एक सामाजिक क्रांति लाई. उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की.