नई दिल्ली, 23अगस्त। भारतीय समुद्री उद्योग में प्रगति की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करते हुए, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पूर्व और पश्चिम क्षेत्रों के सभी भारतीय राजदूतों को घरेलू समुद्री क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं तलाशने के लिए आमंत्रित किया।
इस बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, सिंगापुर, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क, नीदरलैंड्स, ब्राज़ील आदि सहित 45 से अधिक भारतीय दूतावासों की भागीदारी रही और समुद्री उत्कृष्टता के लिए उल्लेखनीय सहयोग और प्रतिबद्धता प्रदर्शित की गई। राष्ट्रमंडल, बिम्सटेक, पश्चिम एशिया, खाड़ी और पूर्वी हिस्से के अन्य पड़ोसी देशों के भारतीय दूतावास के अधिकारी भी उपस्थित रहे।
सर्बानंद सोनोवाल ने आगामी ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस) 2023 का उल्लेख करते हुए राजदूतों से दुनिया भर के विभिन्न देशों में संबंधित सरकारों और कॉरपोरेट्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए अपने पदों का लाभ उठाने का आग्रह किया। सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के संदर्भ में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के उद्भव पर प्रकाश डालते हुए सर्बानंद सोनोवाल ने रेखांकित किया कि समुद्री क्षेत्र में देश की प्रगति, स्वचालित मार्गों के माध्यम से शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की प्रतिबद्धता द्वारा परिलक्षित होती है।
सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “10 लाख करोड़ रुपये (12,000 मिलियन डॉलर) से अधिक के संभावित निवेश के साथ हम आर्थिक परिवर्तन ला सकते हैं जो हमारी सीमाओं के भीतर और विश्व स्तर पर प्रतिध्वनित होगा। हम इसके आर्थिक विकास के लिए मजबूत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों के महत्व को पहचानते हैं और समुद्री मोर्चे पर वैश्विक सहयोग बढ़ाने की दिशा में विविध कदम उठा रहे हैं।”
नीली अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट बल देते हुए सर्बानंद सोनोवाल ने निवेशकों को विभिन्न उद्योगों में भाग लेकर विकास का एक व्यापक कैनवास तैयार करने के लिए आमंत्रित किया। इस विजन में क्रूज पर्यटन से लेकर जहाज निर्माण और समुद्री शिक्षा तक, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अवसर प्रस्तुत करने वाले अनेक क्षेत्र शामिल हैं।
सहयोग की संभावनाओं पर विचार करते हुए सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “समुद्री परिवहन और सहयोग के क्षेत्र में भारत पहले ही 34 देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों और समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कर चुका है और उसने 40 देशों के साथ नाविकों के प्रमाणपत्रों की मान्यता पर समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। न्यायसंगत और सतत विकास के लिए हम विभिन्न बहुराष्ट्रीय समुद्री मंचों में भी सक्रिय भागीदार रहे हैं। आपकी सहायता से हम सहयोग, नवाचार और समृद्धि की विरासत को आगे बढ़ाते हुए पारस्परिक प्रगति और उसके लाभ प्राप्त करेंगे।’’
पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के सचिव टी.के.रामचंद्रन ने अपने प्रारंभिक भाषण में आगामी ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस) के लक्ष्यों पर चर्चा की। उन्होंने तीन प्रमुख कारकों: बंदरगाहों और आंतरिक जलमार्गों में प्रगति, प्रौद्योगिकी और परियोजना के कार्यान्वयन के लिए विदेशी कारोबारों के साथ साझेदारी और कई देशों की अद्वितीय व्यापार आवश्यकताओं पर जोर देते हुए वैश्विक पहलु को रेखांकित किया।
इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (ईआर और डीपीए) पेरियासामी कुमारन ने घरेलू और विदेशी निवेश की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के बंदरगाहों और पोत परिवहन में परिवर्तनकारी चरण की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास किस प्रकार बिजनेस नेटवर्किंग और मैचमेकिंग, प्रतिभागियों को संभावित निवेशकों और साझेदारों को तलाशने हेतु प्रोत्साहित करने, बातचीत को बढ़ावा देने और क्षेत्र के लिए सूचना केंद्र के रूप में काम करने में सहायता करते हैं।
ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस), 2023 के बारे में:
जीएमआईएस 2023 समुद्री क्षेत्र पर केंद्रित एक आयोजन है, जो संभावनाओं का पता लगाने, चुनौतियों को समझने और भारत के समुद्री क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए इस उद्योग की प्रमुख हस्तियों को एक साथ लाता है। अपने पिछले संस्करणों की विरासत के आधार पर इस तीसरी किस्त का उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री हितधारकों और निवेशकों के लिए व्यापक संभावनाओं को उद्घाटित करना है। वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति महसूस कराने और भारत के समुद्री उद्योग को सुर्खियों में लाने को तत्पर, मैरीटाइम इंडिया समिट अब इस वर्ष ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट में विकसित हो गया है। यह समिट 17 से 19 अक्टूबर 2023 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।