Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

`भारत 2025 तक 150 अरब डॉलर की जैव-अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के लिए तैयार है, 2022 में यह 100 अरब डॉलर से अधिक थी: डॉ. जितेंद्र सिंह

133
Tour And Travels

नई दिल्ली, 23अगस्त। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भारत 2025 तक 150 अरब डॉलर की जैव-अर्थव्यवस्था (बायो-इकॉनमी) प्राप्त करने के लिए तैयार है, 2022 में यह 100 अरब डॉलर से अधिक थी।

डॉ. जितेंद्र सिंह नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और यूनाइटेड स्टेट्स-नेशनल साइंस फाउंडेशन (यूएस-एनएसएफ) के बीच ‘कार्यान्वयन व्यवस्था’ पर हस्ताक्षर समारोह के समय सम्बोधित कर रहे थे। यह हस्ताक्षर प्रक्रिया जैव -प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सेथुरमन पंचनाथन के बीच जून 2023 में डीबीटी और यूएस-एनएसएफ के बीच ‘रणनीतिक साझेदारी’ विकसित करने के अवसरों पर हुई चर्चा बैठक का अनुवर्ती (फौलोअप) कदम था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, दोनों देशों के नेतृत्व ने अपने प्रशासन से उन्नत जैव प्रौद्योगिकी और जैव विनिर्माण के लिए वर्तमान साझेदारी का विस्तार करने और जैव सुरक्षा एवं जैव सुरक्षा प्रथाओं तथा नवाचार मानदंडों को बढ़ाने का आह्वान किया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का लगातार बढ़ता की जैव-अर्थव्यवस्था का लगातार बढ़ता ग्राफ भारत की समग्र अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में भारत की बाजार हिस्सेदारी 3-5 प्रतिशत है और यह जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व में 12वें और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है।

मंत्री ने कहा, भारत के पास वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्‍टम है; और सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता। इसके अलावा, वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी सूचकांकों में भारत की रैंकिंग लगातार बढ़ रही है और वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) 2022 के अनुसार भारत नवीन अर्थव्यवस्थाओं में 40वें स्थान पर है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने सरकार की मेक–इन-इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से जैव-औषधि (बायो-फार्मा), जैव-सेवाओं (बायो-सर्विसेस), कृषि जैव-प्रौद्योगिकी (एग्रो-बायोटेक), औद्योगिक जैव-प्रौद्योगिकी (इंडस्ट्रियल बायोटेक) और जैव सूचना विज्ञान जैसे क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी नवाचार, अनुसंधान और विनिर्माण में एक मजबूत आधार बनाकर उसे पोषित किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण के अनुरूप ‘भविष्य के लिए तैयार’ प्रौद्योगिकी मंच के निर्माण की दिशा में हमेशा प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचार का समर्थन किया है और उन्होंने भारत के बीच द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने और इस कार्यान्वयन व्यवस्था के माध्यम से जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) को बधाई दी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, संसाधनों का अपर्याप्त उपयोग, सामग्री की खपत और अपशिष्ट उत्पादन का एक अस्थिर स्वरूप (पैटर्न) वैश्विक खतरे हैं तथा इसके लिए ठोस स्थायी हस्तक्षेप की आवश्यकता है और इसलिए वैश्विक स्थायी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जैव विनिर्माण (बायोमैन्युफैक्चरिंग) में तेजी लाने के लिए भविष्य के अनुसंधान और नवाचार रणनीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तदनुसार ही जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने “उच्च प्रदर्शन बायोमैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना- हरित, स्वच्छ और समृद्ध भारत के लिए परिपत्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण” पर एक बड़ी पहल की है और कहा कि यह प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ- एलआईएफई)’ का उदाहरण है। मंत्री महोदय ने सभी हितधारकों से जलवायु और ऊर्जा लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए जीवन के हर पहलू में हरित और अनुकूल पर्यावरणीय समाधान अपनाने का आग्रह किया।

मंत्री महोदय ने कहा कि यह ‘कार्यान्वयन व्यवस्था’ ‘जैव प्रौद्योगिकी नवाचार और जैव विनिर्माण’ के क्षेत्र में नवाचारों में तेजी लाने पर दोनों देशों के बीच सहयोग की नींव रखेगी। उन्होंने कहा कि यह जैव दोनों देशों की जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ ही प्रौद्योगिकी उद्योगों को सशक्त बनाने के लिए सहायक सहयोगात्मक अनुसंधान के माध्यम से ज्ञान, प्रौद्योगिकियों और नवाचार को आगे बढ़ाएगी।

नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) के निदेशक डॉ. सेथुरमन पंचनाथन ने कहा कि “संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत मिलकर जैव प्रौद्योगिकी नवाचार और जैव विनिर्माण के माध्यम से जलवायु शमन और ऊर्जा लक्ष्यों जैसी महत्वपूर्ण वैश्विक आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।”

साथ ही जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले ने कहा कि “यह साझेदारी नवाचार के क्षेत्र में चुनौतियों के साथ-साथ तकनीकी अवसरों को बढ़ाने के लिए पारस्परिक रूप से एक महत्वपूर्ण कदम होगी।” यह हरित, स्वच्छ और समृद्ध भारत के लिए परिपत्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के साथ उच्च प्रदर्शन वाले बायोमैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए डीबीटी की पहल में समन्वयन भी लाएगी।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के बारे में
भारत सरकार के विज्ञन और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) जैव-औषधि (बायो-फार्मा), जैव-सेवाओं (बायो-सर्विसेस), कृषि जैव प्रौद्योगिकी (एग्री बायोटेक), औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी (इंडस्ट्रियल बायोटेक) और जैव सूचना विज्ञान (बायो इन्फार्मेटिक्स) जैसे क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी नवाचार, अनुसंधान और विकास में मजबूत नींव का निर्माण कर उसका पोषण करता है।

यूएस-नेशनल साइंस फाउंडेशन (यूएस-एनएसएफ) एक स्वतंत्र संघीय एजेंसी है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में विज्ञान और इंजीनियरिंग का समर्थन करती है। इसकी स्थापना अनुदानों के प्रबंधन के माध्यम से विज्ञान की प्रगति को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण को आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए की गई थी।