नई दिल्ली, 21अगस्त। 72 वर्ष के रजनीकांत 51 वर्ष के योगी आदित्यनाथ का पैर छू रहे हैं!
साधू से सनातन संस्कृति ‘अकारण प्रणाम’ करती है। ना उम्र देखती है, ना जाति.. सड़क पर दर्शन मात्र हुए और प्रणाम हो गया। असल में केवल यही करके हम धन्यवाद दे देते हैं उन सभी लोगों को जिन्होंने हमें मंत्र, व्यवस्थाएं, शिक्षाएं और सामाजिक अनुशासन दिए। अनुग्रह शब्दातीत है। धन्यवाद बोला नहीं जा सकता। बोलते ही छोटा हो जाता है। भाव बड़ा है, शब्द बहुत छोटे इसलिए भाव-विभोर होकर रजनीकांत जी झुक गए।`
प्रणाम करने की पाठशालाएं नहीं होती, ये तो आत्मा अपने संस्कारों के साथ लेकर चलती है। सब कुछ भाषा की पकड़ में होता तो गले लगना, पैर छूना, रो लेना जैसी कोई चीज ही न होती। कुछ चीजें बस अनुभव में आती हैं और फिर होती जाती है, ये भाषाओं से बाहर की चीज है।
सच तो यही है कि अगर आप झुक रहे हैं तो वास्तव में आप उठ रहे हैं, शर्त मात्र इतनी है कि झुकना हार्दिकता से हो, औपचारिकता से नहीं।