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उज्जैन में श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ने भक्तों को दिए दर्शन , 1 लाख बेल पत्र, भांग, चंदन, सूखे मेवे से किया गया भोलेनाथ का श्रृंगार

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भोपाल , 7 अगस्त। श्रावण माह का आज पांचवा सोमवार है, रिम झिम बारिश के बीच सावन में शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है. आज पांचवे सोमवार पर “श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्नान पंचाभिषेक और फलों के रस से किया गया वहीं, उनका श्रृंगार भांग, चंदन, सूखे मेवे से हुआ. इस बीच, खबर आई है कि आरती पूजन के दौरान बाबा ने राजा रूप में दर्शन दिए.

मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने दर्शन का महत्व बताया कि श्रावण माह में शिव दर्शन करने से अनेक पापो का नाश होता है साथ ही इस माह में जो भी भक्त शिव को जलधारा, दुग्ध धारा व बैल पत्र चढ़ाता है तो उसके तीन जन्मों के पाप का विनाश होता है व उसको अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है. 1 बिल्व पत्र से 1 लाख तक बिल्व पत्र भगवान को अर्पण करने से कई यग्यो का फल प्राप्त होता है. पुजारी ने बताया कि इन दिनों जितने भी व्रत आते है वो सती और माता पार्वती ने किए है ये व्रत दोनों ने अपने अपने समय मे शिव को मनाने व शिव को पाने के लिए किए थे. शिव जैसे पति की कामना लिए वे व्रत करती थी और मांगती थी में धन्य हो जाऊगी. इसलिए हमारे सनातन में महत्व है की जो महिलाएं चार पहर की पूजा, व्रत, उपवास आदी करती है उससे उन्हें सौभग्य के फल की प्राप्ति होती है. कुंवारी बच्चियों को मनवांछित वर प्राप्त होता है ऐसी मान्यता है.

महाकाल बाबा शाम 4 बजे करेंगे नगर का भ्रमण
पुजारी ने बताया बाबा महाकाल मंदिर में परंपरा रही है श्रावण मास की 4 या 5 सवारियां होती है और दो सवारी भाद्र पद (भादौ मास) की होती है जिसमें बाबा नगर भ्रमण पर हर सोमवार भक्तो का हाल जानने शाही ठाठ बाट के साथ निकलते है. लेकिन, इस बार अधीक मास होने से 8 सवारी श्रावण की व 2 सवारी भादौ मास की कूल 10 सवारी रहेगी. भगवान श्री महाकालेश्वर श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में व गरूड़ रथ पर श्री शिव-तांडव रूप में, नंदी रथ पर उमा मेहश रूप में व डोल रथ पर होलकर स्टेट के मुखारविंद विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे. इस प्रकार हर सोमवार को एक एक वाहन और विग्रह के रूप में प्रतिमा बढ़ती जाएगी व कूल 10 विग्रह भगवान के निकलेंगे.

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भगवान के पूजन का काम कैसा रहा आज
मंदिर में आम दिनों की तुलना में श्रावण सोमवार को डेढ़ घण्टे पहले द्वार खुल जाते है यहां फुट पांति व जनेऊ पाती के वंशा वली अनुसार पूजन का क्रम होता है. ये समय फुट पांति के पुजारियों के लिए है उन्हीं ने आज द्वार खोले है. सबसे पहले बाल भद्र की पूजा हुई, उसके बाद भगवान के डेली का पूजन हुआ और घण्टाल बजा कर भगवान को संकेत दिया गया कि हे महादेव महाकाल हम आपके द्वार खोल रहे है और प्रवेश करना चाहते हैं फिर मान भद्र का पूजन कर भगवान के गर्भ गृह की डेली का पूजन होता है इस तरह गर्भ गृह में हर रोज प्रबेश का क्रम पूरा होता है.

प्रवेश के बाद क्या हुआ?
भगवान गणेश, कार्तिकेय, नंदी, सबको स्नान करवाया जाता है प्रथम कपूर आरती होती है उसके बाद सामान्य दर्शनार्थियों को प्रवेश दिया जाता है. तत्पश्चात हरि ॐ जल के बाद भगवान का पंचाभिषेक होता है और अलग-अलग प्रकार की वस्तुएं मंत्रों द्वारा भगवान को अर्पण की जाती है. इसके बाद ध्यान होता है, आव्हान होता है और भगवान को आसन दिया जाता है. भगवान के पैर धोए जाते है उन्हें स्नान करवाया जाता है और उसके बाद पंचाभिषेक होता है. अलग-अलग द्रव्य से स्नान होता है फल भांग व अन्य जिसके बाद दौबारा शुद्ध स्नान करवाकर भगवान का श्रृंगार किया जाता है.

श्रृंगार होने के बाद होती है भस्म आरती
पुजारी महेश शर्मा ने बताया श्रृंगार होने के बाद भस्म से स्नान करवाया जाता है जिसे भस्मार्ती मंगला आरती कहा जाता है. जिसके बाद रजत मुकुट आभूषण, वस्त्र भगवन को अर्पण किए जाते है. इसके बाद भगवान दिव्य स्वरूप में निराकार से साकार रूप में भक्तो को दर्शन देते है. दिव्यता के साथ धूंप दी जाती है फिर दीप दर्शन, नैवेद्य चढ़ाया जाता है बस फिर आरती सब लेते है और इस प्रकार अल सुबह की ये प्रक्रिया समाप्त हो जाती है