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सरकार ने भारतीय शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और पेशेवरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्‍साहन देने हेतु कई उपाय किए हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह

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नई दिल्ली, 4अगस्त। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार ने भारतीय शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और पेशेवरों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्‍साहन देने हेतु कई उपाय किए हैं।

इनमें विकसित और विकासशील देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग के लिए मंच बनाना; आसियान और बिम्सटेक के साथ क्षेत्रीय सहयोग और यूरोपीय संघ , ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका , शंघाई सहयोग संगठन , हिंद महासागर रिम एसोसिएशन , ह्यूमन फ्रंटियर साइंस प्रोग्राम ऑर्गनाइजेशन , यूरोपियन मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ऑर्गनाइजेशन, मिशन इनोवेशन आदि जैसी संस्थाओं के माध्यम से बहुपक्षीय सहयोग शामिल हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, पिछले तीन वर्षों में सहयोगात्मक अनुसंधान पर केंद्रित 750 से अधिक संयुक्त अनुसंधान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) परियोजनाओं और लगभग 100 संयुक्त कार्यशालाओं/संगोष्ठियों/वेबिनारों को सहायता दी गई।

राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार की बुनियादी अनुसंधान योजना के लिए मेगा सुविधाएं अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण अनुसंधान क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्‍साहन देने का एक और मंच है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, सूचना के आदान-प्रदान, नए ज्ञान का सृजन, विशेषज्ञता साझा करने, लागत और संसाधनों का इष्टतम उपयोग, और ऐसी उन्नत सुविधाओं और परिष्कृत उपकरणों तक पहुंच प्रदान करने जैसे अवसरों का सृजन करके शोधकर्ताओं की सहायता के लिए कई उपाय किए गए हैं, जो घरेलू स्तर पर उपलब्‍ध नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि इन कदमों से वैज्ञानिक अनुसंधान की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी और रोजगार के अवसरों का सृजन करने की क्षमता में भी वृद्धि होगी। विभिन्न शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों/संगठनों, उद्योगों, स्टार्ट-अप, उद्यमियों तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग , जैव प्रौद्योगिकी विभाग , पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, शिक्षा, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद , भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की फैलोशिप योजनाओं के लिए सरकार की अतिरिक्त वित्त पोषण योजनाओं को देश में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के लिए वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने और इस तरह प्रतिभा पलायन को रोकने हेतु डिज़ाइन किया गया है।

डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि सरकार ने हाशिए पर मौजूद और पिछड़े वर्गों के लिए अनुसंधान और पेशेवर कार्यक्रम विकसित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। डीएसटी की अनुसूचित जाति उपयोजना और जनजातीय उपयोजना योजनाओं का उद्देश्‍य प्रमाणित प्रौद्योगिकियों (विज्ञान आधारित समाधानों की प्रदायगी सहित) के अनुसंधान, विकास और उन्‍हें अपनाए जाने, उनके हस्तांतरण और प्रसार को बढ़ावा देने के माध्यम से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हाशिए पर मौजूद समुदायों की समस्याओं का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के माध्यम से समाधान करते हुए उनको सशक्त बनाना है। विज्ञान में उत्कृष्टता के लिए सशक्तिकरण और समानता के अवसर योजना विज्ञान और इंजीनियरिंग के अग्रणी क्षेत्रों में अनुसंधान करने में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के शोधकर्ताओं को अनुसंधान सहायता प्रदान करती है। ये उपाय उन्हें उच्च स्तर के अनुसंधान, शिक्षा और कुशल रोजगार की संभावनाएं प्रदान करते हैं।