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स्टार्टअप और कौशल के अवसरों का लाभ उठाने के लिए जागरूकता और मानसिकता में बदलाव जरूरी है: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

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नई दिल्ली, 29 जुलाई। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 28 जुलाई को नई दिल्ली में कहा कि स्टार्ट-अप्स और कौशल के अवसरों का लाभ उठाने के लिए जागरूकता और मानसिकता में बदलाव जरूरी है।

मंत्री महोदय “वैश्विक एवं पेट्रोकेमिकल विनिर्माण केंद्र” शिखर सम्मेलन-2023 को संबोधित कर रहे थे ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा की गई हर नई पहल के केंद्र में कौशल, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, भविष्य के कौशल के लिए स्वयं को तैयार करने के उद्देश्य से हमारी मानसिकता उसी गति से विकसित नहीं हो रही है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा स्वयं नए विचारों के साथ आगे आते हैं और उनमें नवाचार की अत्यधिक क्षमता है।

“प्रधानमंत्री मोदी का प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस संबोधन प्रौद्योगिकी-आधारित, कौशल-आधारित या नवाचार-आधारित घोषणाओं द्वारा चिह्नित होता है। उन्होंने कहा कि 2014 में, विषय स्वच्छता था, इससे स्वास्थ्य-देखभाल में सुधार हुई और अनुमानित 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया। उसके अगले वर्ष डिजिटल इंडिया पर ध्यान दिया गया था और इसी क्रम में गगनयान; गहन महासागर अभियान (डीप सी मिशन) 2021 और 2022 में दो बार थीम रहीI ”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार नवाचार और फलने-फूलने के लिए उद्योग, शिक्षा जगत और उद्यमियों के बीच समन्वय स्थापित करने की समर्थक है।

उन्होंने यह भी कहा कि “बिना संयत हुए, मैं कहूंगा की पिछले नौ वर्षों में इस सरकार द्वारा अनुकूल दृष्टिकोण प्रदान किया गया है। इसमें आपको प्रयोग करने और पथप्रदर्शक पहल करने की स्वतंत्रता है, जब तक आप अधिकारियों को समझा सकते हैं, तब तक आपको कुछ भी कहने की भी स्वतंत्रता है”।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री महोदय ने अतीत की कुछ वर्जनाओं को तोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि “वर्षों से एकपक्षीय अनुकूलित हो चुके दिमाग और मानसिकता को कैसे कुशल बनाया जाए, अब यही चुनौती है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने उद्योग के विकास के लिए उपयुक्त इकोसिस्टम बनाया है। 2014 में केवल 50 बायोटेक स्टार्ट-अप्स से, आज हमारे पास 6,000 हैं; वहीं अरोमा एग्रीटेक स्टार्टअप्स में 3,000 युवा हैं, जिनमें से शायद ही कोई स्नातक (ग्रेजुएट है), लेकिन उनके पास वह कौशल है जो उन्हें औरों से अलग बनाता है।

उन्होंने कहा कि “इस इकोसिस्टम में हर कोई एक हितधारक है। सरकार को आगे आना होगा और एक सतत अर्थव्यवस्था और स्टार्ट-अप्स के लिए उद्योग को विकसित करने में सहायता करनी होगी। हमें उद्योग को एक समान भागीदार बनाना होगा और उद्योग मंडलों के साथ मिलकर, हमें भविष्य के लिए एक ऐसे समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जहां समाज और नागरिक भाग ले सकें”।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के परिणामस्वरूप, आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और हमने वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग) में 40 स्थानों की छलांग लगाई है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने जैव ईंधन, जैव रसायन सहित जैव अर्थव्यवस्था को ‘अपशिष्ट से सम्पदा (वेस्ट टू वेल्थ)’ सिद्धांत पर आधारित चक्रीय अर्थव्यवस्था के वाहक के रूप में पहचाना क्योंकि भारत का लक्ष्य 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य की प्राप्ति है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि “भारत में हमारे पास विशाल जैव संसाधन हैं, हिमालय में जड़ी-बूटियों के साथ अरोमा मिशन नए अवसर पैदा कर रहा है, जबकि 7,500 किलोमीटर से अधिक की समुद्र तटरेखा के साथ भारत की विशाल समुद्री संपदा का दोहन करने के लिए गहन महासागर (डीप ओशन) मिशन शुरू किया गया है।”