प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भरता के विज़न के अनुरूप ये डॉपलर रडार भारत में ही बनाए जा रहे हैं : किरेन रिजिजू
नई दिल्ली, 27 जुलाई। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने निजी क्षेत्र को अत्याधुनिक संचार और मौसम उपकरणों का पीपीपी मोड में निर्माण करने के लिए सरकार के साथ मिलकर कार्य करने को कहा।
किरेन रिजिजू ने मौसम पूर्वानुमान क्षेत्र में वाणिज्यिक संगठनों से भी सबके लिए लाभकारी प्रस्ताव के लिए आईएमडी के साथ जुड़ने का आह्वान किया और सुझाव दिया कि निजी पक्ष भुगतान के आधार पर आईएमडी उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं।
किरेन रिजिजू ने दिल्ली में मौसम भवन में केंद्रीय पूर्वानुमान प्रणाली और सैटेलाइट डेटा सेंटर सहित आईएमडी की विभिन्न सुविधाओं का दौरा करने के बाद मीडिया को जानकारी देते बताया कि 2014-23 के दौरान देश में 22 नए डॉपलर मौसम रडार चालू किए गए हैं। इसके साथ ही इनकी कुल संख्या 37 हो गई है।
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भरता के विज़न के अनुरूप ये डॉपलर रडार भारत में ही बनाए जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने को कवर करने के लिए अगले दो से तीन साल में कुल 68 रडार लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि डॉपलर रडार क्षेत्र में होने वाली मौसम की गंभीर घटनाओं की जानकारी प्रदान करते हैं और आपदा प्रबंधन अधिकारियों की सहायता करते हैं।
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने यह भी सूचित किया कि सितंबर में इसरो कुछ और संचार उपग्रह लॉन्च करेगा, जिससे मौसम पूर्वानुमान में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा कि हाल के पांच वर्षों में भारी वर्षा, कोहरा, गर्मी/शीत लहर और तूफान जैसी मौसम की अन्य गंभीर घटनाओं के पूर्वानुमान की सटीकता में 40 से 50 प्रतिशत सुधार हुआ है। किरेन रिजिजू ने बताया कि इन अनुप्रयोगों के लिए हाई रिज़ॉल्यूशन एन्सेंबल वैश्विक/क्षेत्रीय मॉडल और सेटेलाइट डेटा एसेमिलेशन विकसित किए गए।
देश के सभी संगठनों, प्रत्येक क्षेत्र और सभी व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करने में आईएमडी की भूमिका की सराहना करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार आईएमडी में सुविधाओं को उन्नत बनाने के लिए अधिक वित्तीय आवंटन करने और हमारे शोधकर्ताओं को वित्तीय सहायता देने सहित हरसंभव मदद करेगी।
किरेन रिजिजू ने कहा, भारत की मॉडलिंग प्रणाली दुनिया की श्रेष्ठतम प्रणालियों में से एक है और हम चक्रवात के पूर्वानुमान में अग्रणी देश के अलावा, सभी हिंद महासागर रिम देशों को त्सुनामी की चेतावनी देने में प्रमुख देश हैं। उन्होंने कहा भारत में प्रेषण नेटवर्क, डेटा संचार प्रणाली, हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग प्रणाली, मॉडलिंग और पूर्वानुमान प्रणाली और चेतावनी प्रसार प्रणाली के विस्तार के साथ पूर्व चेतावनी प्रणाली और मौसम पूर्वानुमान सेवाओं में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में किरेन रिजिजू ने बताया कि इस मानसून में 5 प्रतिशत अतिरिक्त वर्षा हुई और कुछ इलाकों में सघनता के कारण जान-माल की हानि हुई। हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आई बाढ़ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन समय पर और सटीक पूर्वानुमान से इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
भारत में किसानों और मछली पकड़ने वाले समुदाय के लिए मौसम पूर्वानुमान के महत्व को रेखांकित करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि मौसम की सभी गंभीर घटनाओं के लिए प्रभाव आधारित पूर्वानुमान (आईबीएफ) जिला और शहर स्तर पर जारी किया जा रहा है, जिसमें अरक्षितता और अतिसंवेदनशीलता के मापदंडों को शामिल किया गया है और एजेंसियों के सहयोग से बचाव की कार्रवाइयों का सुझाव दिया गया है।
देश के ~360 जिलों को कवर करने वाले ~3100 प्रखंडों के लिए प्रखंड स्तरीय कृषि मौसम संबंधी सलाह जारी की जाती है, जबकि सभी प्रखंडों और जिलों के लिए मौसम पूर्वानुमान जारी किया जाता है। कृषि मौसम संबंधी सलाह के अलावा, कृषि और संबंधित कृषि मौसम संबंधी सलाह के लिए आईबीएफ जिला-स्तरीय गंभीर मौसम चेतावनियों के आधार पर जारी किया जा रहा है।
किरेन रिजिजू ने यह भी बताया कि वर्तमान में फ्लैश फ्लड गाइडेंस प्रणाली भारत और नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों में 30,000 से अधिक जलसंभर या वॉटरशेड्स के लिए दैनिक आधार पर फ्लैश फ्लड मार्गदर्शन प्रदान करती है।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे की अपनी हाल की यात्रा का उल्लेख करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा, हमारी पूर्वानुमान प्रणाली की तुलना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणाली से की जा सकती है। मंत्री ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के तहत स्वायत्त निकाय की सभी प्रयोगशालाओं का दौरा किया और संस्थान में चल रही सभी अनुसंधान परियोजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र की। उन्होंने प्रत्यूष सुपरकंप्यूटर की कार्यप्रणाली, क्लाउड स्टिमुलेशन, आकाशीय बिजली की परिघटना और पुणे संस्थान में किए जा रहे अन्य अध्ययनों का भी अवलोकन किया।