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एनएमएचसी को दुनिया के सबसे बड़े समुद्री संग्रहालय परिसर के रूप में विकसित किया जा रहा है- सर्बानंद सोनोवाल

सर्बानंद सोनोवाल ने विश्व के सबसे बड़े समुद्री संग्रहालय परिसर,एनएमएचसी, लोथल की प्रगति की समीक्षा की

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नई दिल्ली, 3जुलाई। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री  सर्बानंद सोनोवाल ने गुजरात के गांधीनगर में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर, लोथल की समीक्षा की। बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री और रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर भी सम्मिलित हुए।

एनएमएचसी परिसर के अंदर एक नौसेना गैलरी “द जर्नी ऑफ इंडियन नेवी एंड कोस्ट गार्ड” के विकास के लिए रक्षा मंत्रालय (भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल) के साथ बैठक के दौरान एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

सर्बानंद सोनोवाल ने कहा ‘माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय लोथल, गुजरात में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर विकसित कर रहा है। इसमें भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने की परिकल्पना की गई है। एनएमएचसी, एमओपीएसडब्ल्यू के तहत सागरमाला कार्यक्रम की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है और यह दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री संग्रहालय परिसर होगा।’

उन्होंने यह भी बताया ‘एनएमएचसी भारत के विविध समुद्री इतिहास को सीखने और समझने के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा और इसे इस तरह से बनाया जा रहा है कि भारत का आम आदमी इसके इतिहास को सरलता से समझ सके।’  सोनोवाल ने परियोजना के विकास में लगातार समर्थन देने के लिए गुजरात सरकार का आभार भी प्रकट किया।

गुजरात के मुख्यमंत्री ने परियोजना की प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे सौंपी गई विभिन्न जिम्मेदारियों को निभाने में राज्य सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है।

डॉ. मनसुख मंडाविया ने भी गुजरात राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की और सभी को निर्धारित समय सीमा के भीतर परियोजना को पूरा करने के लिए समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया।

परियोजना के लिए गुजरात सरकार ने 375 एकड़ भूमि आवंटित की है तथा स्टाफ क्वार्टरों के विकास के लिए अतिरिक्त 25 एकड़ भूमि भी आवंटित की गई है। राज्य राजमार्ग से एनएमएचसी परियोजना स्थल तक सड़क को 4 लेन बनाने का कार्य चल रहा है, लगभग 25 किलोमीटर तक नर्मदा जल की आपूर्ति पूरी हो चुकी है, लगभग 17 किलोमीटर की ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने और 66 केवी जीआईएस सबस्टेशन की स्थापना के लिए वित्तिय सहायता प्रगति पर है और बुनियादी आंतरिक संरचना के विकास के लिए 150 करोड़ रुपये का योगदान किया गया है।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सागरमाला कार्यक्रम के तहत एनएमएचसी को लगभग 400 एकड़ क्षेत्र में 4500 करोड़ रुपये रुपये की अनुमानित लागत के साथ विकसित किया जा रहा है और इसे सार्वजनिक और निजी संस्थानों या संगठनों और सीएसआर से वित्त पोषण के माध्यम से विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। भारत के प्रमुख बंदरगाह परियोजना के लिए 209 करोड़ रुपये का योगदान दे रहे हैं।

इस परियोजना की प्रगति की समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्यमंत्री  श्रीपद नाइक ने कहा ‘एनएमएचसी को एक विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है जो देश में अपनी तरह का पहला होगा। इसमें समुद्री संग्रहालय, लाइट हाउस संग्रहालय समुद्री थीम पार्क और मनोरंजन पार्क आदि शामिल होंगे। यह एक शैक्षिक दृष्टिकोण के साथ प्राचीन से आधुनिक काल तक देश की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करेगा।
ठाकुर ने कहा ‘एनएमएचसी हमें अमृतकाल और एमआईवी 2030 की तरफ एक कदम और आगे ले जाएगा। यह भारत को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा और लोगों को हमारे समुद्री क्षेत्र की समृद्ध विरासत के बारे में शिक्षित करेगा’।

परियोजना की वर्तमान स्थिति:

सरगवाड़ा गांव से परियोजना स्थल तक 1.58 किलोमीटर की 4-लेन सड़क का निर्माण पूर्ण होने जा रहा है। 25 किलोमीटर की जलापूर्ति लाइन और 10 लाख लीटर क्षमता की पानी की टंकी का काम पूरा हो चुका है। चरण 1ए की प्रगति 30 प्रतिशत से अधिक है। पहली 5 दीर्घाओं के लिए गैलरी निविदाएं जारी कर दी गई हैं और नौसेना गैलरी और लोथल शहर के लिए तैयारी अंतिम चरण में है। जोधपुर से विशेष गुलाबी पत्थर की खदानों की पहचान की गई है और उन्हें एनएमएचसी के बाह्य भाग के लिए अनुबंधित किया गया है। संग्रहालयों में कलाकृतियों के लिए विभिन्न राज्य विभागों और संस्थानों के साथ संबंध स्थापित किए गए हैं।

एनएमएचसी को भारत की समुद्री विरासत को समर्पित देश में अपनी तरह के पहली परियोजना के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह न केवल भारत की समृद्ध और विविध समुद्री महिमा को प्रदर्शित करेगा बल्कि हमारे देश के मजबूत समुद्री इतिहास और जीवंत तटीय परंपरा को भी उजागर करेगा। जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की समुद्री विरासत की छवि सशक्त होगी

गौरतलब है कि केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने देश में पत्तन क्षेत्र के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के तहत गुजरात में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 57 हजार करोड़ रुपये की 74 परियोजनाओं की पहचान की है। इनमें से 9 हजार करोड़ रुपये की 15 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं; 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक की 33 परियोजनाएं कार्यान्वयन में हैं और 22,700 करोड़ रुपये की 26 परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं। केंद्रीय मंत्रालय, प्रमुख पत्तन, राज्य समुद्री बोर्ड और अन्य राज्य एजेंसियां संयुक्त रूप से इन परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रही हैं।