नई दिल्ली,12जून।केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल तथा केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने केरल के थोप्पुमपडी में कोच्चि फिशिंग हार्बर के आधुनिकीकरण और उन्नयन कार्यों की आधारशिला रखी।
यह परियोजना 169.17 करोड़ की अनुमानित लागत से विकसित की जा रही है। समग्र परियोजना को मत्स्य पालन विभाग (50 करोड़ रुपये) के अंतर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) योजना और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की सागरमाला परियोजना योजना (50 करोड़ रुपये) से अनुदान के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है और पीपीपी ऑपरेटर का निवेश 55.84 करोड़ रुपये है।
परियोजना के पहले चरण में तीन वातानुकूलित नीलामी हॉल, एक गैर-वातानुकूलित हॉल, एक मछली ड्रेसिंग इकाई और अन्य सहायक इकाइयों का निर्माण शामिल है। इस परियोजना के अंतर्गत आंतरिक सड़कों का निर्माण किया जाएगा, लोडिंग और अनलोडिंग प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे, अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र विकसित किया जाएगा और कैंटीन की सुविधा, चालकों के प्रतीक्षा क्षेत्र, ड्रेजिंग कार्य, क्षेत्र मशीनरी और उपकरण इत्यादि होंगे। यांत्रिक पुनर्प्राप्ति और परिवहन के साथ 60एमx18एम के चार तापमान नियंत्रित नीलामी हॉल मछली पकड़ने के बंदरगाह की क्षमता प्रतिदिन 415 टन मछली बढ़ाएंगे।
सर्बानंद सोनोवाल ने उद्घाटन के दौरान कहा, नरेन्द्र मोदी मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने और उत्पादन को दोगुना करने में विश्वास करते हैं। उनके नेतृत्व में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा मत्स्य विभाग दोनों मिलकर इस परियोजना को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं। कोच्चि फिशरीज हार्बर के विकास से मछुआरों को मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।’
सोनोवाल ने कहा कि यह परिकल्पना की गई है कि परियोजना के पूरा होने पर मछली और मत्स्य उत्पादों का निर्यात प्रति वर्ष 1500 करोड़ रुपये होगा। इसके अतिरिक्त स्वच्छता की स्थिति में काफी सुधार होगा।
थोप्पुमपडी बंदरगाह ने अगस्त से नवंबर के दौरान पीक सीजन के साथ मछली पकड़ने की 10 महीने की गतिविधि देखी है। बंदरगाह में औसतन लगभग 40 से 60 नावें उतरती हैं, जो प्रति दिन 250 टन की पकड़ में योगदान देती हैं। बंदरगाह पर उतरने वाली प्रमुख मछलियां श्रिम्प, कटलफिश, कैरांगिड्स, रिबन फिश, सीर फिश, टूना और मार्लिंस हैं।