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पौराणिक व ऐतिहासिक स्थलो के नाम बदले जाए — अश्विनी उपाध्याय

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नई दिल्ली, 5 जून। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने देश में पौराणिक और ऐतिहासिक स्थानों के नाम बदलने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है।

अश्विनी उपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा है, ‘जिन स्थानों का जिक्र कुरान में है वे उसी नाम से आज भी अरब में हैं और इसी प्रकार जिन स्थानों का जिक्र बाइबल में है वे भी उसी नाम से पाए जाते हैं लेकिन आक्रांताओं द्वारा नाम बदलने के कारण जिन स्थानों का वर्णन वेद पुराण गीता रामायण में है वे भारत में नहीं मिलते हैं और इसलिए कुछ लोग हमारे वेद, पुराण, गीता, रामायण और महाभारत को काल्पनिक कहते हैं।

इस तरह के संदर्भों का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा, “हमारे 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है कीर्तेश्वरी । यहां पर माता का मुकुट गिरा था लेकिन मुर्शिद खां नामक आक्रांता ने कीर्तेश्वरी शक्तिपीठ को तोड़ने के बाद उस पवित्र पौराणिक धर्मस्थल का नाम बदलकर मुर्शिदाबाद कर दिया और इसी प्रकार विंध्याचल शक्तिपीठ को मिर्जा ने मिर्जापुर बना दिया।”

“भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं भगवान परशुराम और उनके पिताजी का नाम है महर्षि जमदग्नि और माता जी का नाम है रेणुका। माता रेणुका के जन्मस्थान पर महर्षि जमदग्नि का आश्रम था और उस स्थान को जमदग्निपुरम कहते थे लेकिन जौना खां ने जमदग्नि पुरम को जौनपुर बना दिया। राजा जनक द्वारा निर्मित शहर का नाम था विदेह और इसलिए हम लोग माता सीता को वैदेही भी कहते हैं लेकिन मुजफ्फर खान ने विदेह को मुजफ्फरपुर बना दिया।”

युद्ध टालने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कौरवों से 5 गांव मांगा था- इंद्रप्रस्थ, सोनप्रस्थ, पानप्रस्थ, व्याघ्रप्रस्थ, तिलप्रस्थ। इंद्रप्रस्थ को दिल्ली कहते हैं, सोनप्रस्थ को सोनीपत कहते हैं, पानप्रस्थ को पानीपत कहते हैं, व्याघ्रप्रस्थ को बागपत कहते हैं और तिल प्रस्थ को फरीद खान ने फरीदाबाद बना दिया। महारानी द्रौपदी के पिता पांचाल के राजा थे इसलिए द्रौपदी को पांचाली कहते हैं लेकिन फरुख खान ने पंचाल को फर्रुखाबाद बना दिया। अज्ञातवास के समय पांडवों ने राजा विराट के यहां शरण लिया था और बाद में विराट नरेश ने अपनी पुत्री का विवाह अभिमन्यु से किया था लेकिन होशियार खान ने विराट को होशियारपुर बना दिया। इसी प्रकार गज प्रस्थ को गाजी खान ने गाजियाबाद बना दिया।”

पत्र में अश्विनी उपाध्याय ने आगे कहा, “यदि ऐतिहासिक शहरों की बात करें तो बेगू खान ने अजातशत्रु नगर को बेगूसराय बना दिया, शरीफउद्दीन ने नालंदा बिहार को बिहार शरीफ बना दिया, दरभंग खान ने द्वारबंगा को दरभंगा बना दिया, हाजी शमसुद्दीन ने हरिपुर को हाजीपुर बना दिया, जमाल खान ने सिंहजानी को जमालपुर बना दिया, अहमदशाह ने कर्णावती को अहमदाबाद बना दिया, बुरहान ने भ्रुगूपुर को बुरहानपुर बना दिया, होशंगशाह ने नर्मदापुरम को होशंगाबाद बना दिया और अहमद शाह ने अंबिकापुर को अहमदनगर बना दिया”

मानसिक रूप से अस्थिर तुगलक ने देवगिरी को तुगलकाबाद बना दिया, उस्मान अली ने धाराशिव को उस्मानाबाद बना दिया, फरीद खान ने मोकल हार को फरीदकोट बना दिया, मुराद खान ने रामगंगा नगर को मुरादाबाद बना दिया, मुजफ्फर खान ने लक्ष्मीनगर को मुज्जफरनगर बना दिया, शाहजहाँ ने गोमती नगर को शाहजहाँपुर बना दिया और बख्तियार खिलजी ने नालंदा को बख्तियार पुर बना दिया”

इसी प्रकार करीमुद्दीन ने करीमनगर बना दिया, महबूब खान ने महबूब नगर बना दिया, अली मीर जाफर ने अलीपुर बना दिया, निजाम ने भाग्यनगर को हैदराबाद बना दिया, इंदूर को निजामाबाद बना दिया, भिठौरा को फतेहपुर बना दिया, हरिगढ़ को अलीगढ़ बना दिया, अंबिका नगर को अमरोहा बना दिया, आर्यमगढ़ को आजम गढ़ बना दिया, जसनौल को बाराबंकी बना दिया और गाधिपुर को गाजीपुर बना दिया”

उपाध्याय ने प्रधानमंत्री से इस गंभीर मामले का संज्ञान लेने का आग्रह करते हुए कहा, ”उपरोक्त के अतिरिक्त कई अन्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थान हैं जिनका नाम विदेशी आक्रांताओं ने जानबूझकर बदला था ताकि कुछ वर्ष के बाद वेद, पुराण, गीता, रामायण और महाभारत को एक काल्पनिक ग्रंथ बताया जा सके। यह केवल भारत की संप्रभुता का विषय नहीं है बल्कि भारतीयों के सम्मान और पहचान के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता का भी विषय है इसलिए मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का मूल नाम पता करने के लिए तत्काल एक नामकरण आयोग बनाएं ”