Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

प्रौद्योगिकी प्रेरित गवर्नेंस मोदी सरकार के 9 वर्षों की पहचान रही है : केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

एलबीएसएनएए, मसूरी में मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को किया संबोधित

104
Tour And Travels

नई दिल्ली, 10 मई। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि प्रौद्योगिकी प्रेरित गवर्नेंस मोदी सरकार के 9 वर्षों की पहचान रही है।

मंत्री महोदय ने मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए मध्‍य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री ने ‘मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्नमेंट’ का मंत्र दिया और इस मंत्र को संभव बनाने के लिए उन्होंने प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग को लगातार आगे बढ़ाया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने एक ओर स्व-प्रामाणिकरण या साक्षात्कारों को समाप्त करते हुए गवर्नेंस को आसान बनाकर जीवन को सहज बनाने का प्रयास किया, वहीं दूसरी ओर सरकार, अधिकारियों के लिए वातावरण को आसान बनाने या कार्य करने में सहजता का माहौल बनाने का भी प्रयास कर रही है। उन्‍होंने उदाहरण के तौर पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का उल्लेख किया, जिसे मोदी सरकार ने 2018 में 30 साल बाद संशोधित किया। इसका उद्देश्‍य था कि रिश्वत लेने के अतिरिक्‍त रिश्वत देने के काम को भी अपराध घोषित किया जा सके और व्यक्तियों के साथ-साथ कॉर्पोरेट संस्थानों द्वारा किए गए इस तरह के कार्यों से निपटने के लिए एक प्रभावी निवारक व्‍यवस्‍था की जा सके। उन्होंने कहा कि इससे अधिकारियों के अनुचित उत्पीड़न से बचा जा सकता है।

इसी प्रकार, अधिकारियों को उनकी भूमिका के बारे में और अधिक आश्वस्त करने के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मिशन कर्मयोगी और आईजीओटी मंच प्रारंभ किया गया था, ताकि नया कार्यभार संभालने वाला कोई भी अधिकारी नए कार्यभार के लिए अपने भीतर अंतर्निहित क्षमता का निर्माण करने में सक्षम हो सके। इसके अतिरिक्‍त, पहली बार संबंधित कैडर में जाने से पहले सहायक सचिवों का 3 महीने का कार्यकाल प्रारंभ किया गया है। इस तरह, आपके पास केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं को जानने तथा परामर्शदाताओं को तैयार करने का अवसर है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रौद्योगिकी प्रेरित गवर्नेंस की आगे की पहलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आकांक्षी जिला इसी तरह का एक और प्रयोग था, जहां सरकार ने वैज्ञानिक आधार पर सूचकांक तय किए। हमारे पास एक डैशबोर्ड है जो वास्तविक समय में अद्यतन किया जाता है और निरंतर रूप से प्रतिस्पर्धा हो रही है और पूरी तरह उद्देश्यपूर्ण है।

एक और प्रमुख पहचान शिकायत निवारण है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पारदर्शिता और उत्‍तरदायित्‍व के मानकों में शिकायत निवारण व्‍यवस्‍था एक है। जब हमने सीपीजीआरएएमएस लागू किया था, 2014 में हमारे पास प्रत्‍येक वर्ष देश भर में लगभग 2 लाख शिकायतें दर्ज की जा रही थीं, आज हमारे पास लगभग 20 लाख, 10 गुना अधिक हैं। यह शिकायत निवारण में लोगों के बढ़ते विश्वास का परिणाम है।

मंत्री महोदय ने कहा कि नागरिकों की भागीदारी पहले ही प्रारंभ हो चुकी है और इसका विशेष उदाहरण स्वामित्व योजना है। यह ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग से जमीन की मैपिंग करके और सम्‍पत्ति के मालिकों को कानूनी स्वामित्व कार्ड (सम्‍पत्ति कार्ड/अधिकार पत्र) जारी करने के साथ गांव के घरेलू मालिकों को ‘अधिकारों का रिकॉर्ड’ प्रदान करके ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में सम्‍पत्ति के स्‍पष्‍ट स्‍वामित्‍व की स्‍थापना की दिशा में सुधार का कदम है।

मंत्री महोदय ने डिजिटल परिवर्तन की चर्चा करते हुए कहा कि ई-ऑफिस संस्करण 7.0 को फरवरी 2023 के अंत तक केंद्रीय सचिवालय के सभी 75 मंत्रालयों/विभागों में अपनाया गया है। यह सराहनीय उपलब्धि है कि केन्‍द्रीय सचिवालय में सभी फाइलों में 89.6 प्रतिशत को ई-फाईल के रूप में प्रोसेस किया जाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब आने वाले 25 वर्षों में चुनौती यह होगी कि प्रौद्योगिकी और मानव इंटरफ़ेस के बीच सर्वाधिक संतुलन कैसे बनाया जाए और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा ह्यूमन इंटेलिजेंस के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए, ताकि दोनों को मिलाकर सर्वोत्‍तम परिणाम प्राप्‍त किए जा सकें।

मंत्री महोदय ने कहा कि इस सीमा तक अकादमी की एक महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि इसके पास युवा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने का अधिदेश है, जो अगले 25 वर्षों तक सक्रिय सेवा में रहेंगे और उन्‍हें 2047 में स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाने का अवसर मिलेगा, जब वे भारत सरकार में वरिष्ठ पदों पर होंगे।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के निदेशक के. श्रीनिवास ने अपने संबोधन में कहा कि अकादमी मिशन कर्मयोगी का अनुपालन करने वाली बन गई है।