भोपाल, 08 मई।मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बागली विधानसभा क्षेत्र से आठ बार के विधायक,सांसद और राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने अपने साथियों के साथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के निवास स्थान पर पहुंचकर कांग्रेस की सदस्यता ली.
इस दौरान दीपक जोशी के हाथ में उनके पिता कैलाश जोशी की फोटो थी. दीपक जोशी ने एक सादे समारोह में कांग्रेस की सदस्यता ली. दीपक जोशी के इस दलबदल को कांग्रेस की बड़ी जीत माना जा रा है. इसे बीजेपी के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है. कांग्रेस ने बीजेपी के उस पुराने घराने में सेंध लगाई है,जिनके मुखिया कैलाश जोशी मरते दम तक बीजेपी का दामन थामे रहे. दीपक ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि वे बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होंगे.
सादे समारोह में ली कांग्रेस की सदस्यता
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे दीपक जोशी अपने साथियों के साथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर पहुंचे. उन्होंने एक सादे समारोह में कांग्रेस की सदस्यता ली. दीपक जोशी वाहनों के बगैर काफिले और बगैर शक्ति प्रदर्शन किए ही कमलनाथ के निवास स्थान पहुंचे.आपको बता दें कि कांग्रेस की सदस्यता लेने से पहले शुक्रवार को दीपक जोशी ने एक पत्रकार वार्ता आयोजित की थी.
इसमें बीजेपी छोड़ कांग्रेस में जाने का दुख उनके चेहरे साफ नजर आया था. पत्रकारों के जवाब देते-देते उनकी आंखों से आंसू आ गए थे.आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मनोज जोशी के बीजेपी में आने के बाद से ही दीपक जोशी की पूछ-परख पार्टी में खासी कम हो गई थी.उनकी हर बात को अनसुना किया जा रहा था. इस दर्द को उन्होंने कई बार बयां भी किया.
साल 2018 में कांग्रेस से हार गए थे दीपक जोशी
दीपक जोशी 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के मनोज चौधरी से हार गए थे. बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मनोज चौधरी ने बीजेपी का थामन थाम लिया था. उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया था और वे जीते भी थे. मनोज चौधरी के बीजेपी में आने के बाद से ही दीपक जोशी की पूछ-परख कम हो गई थी.इन्हीं वजहों से वो पिता की विरासती पार्टी को छोड़ रहे हैं.
बीजेपी पर लगाए हैं ये आरोप
पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने बताया कि मैं अपने पिताजी का पारंपरिक मकान भी छोड़ रहे हैं. अब वो भोपाल में अपने बेहनोई के घर रहेंगे. उन्होंने बताया कि उनके पिताजी भोपाल से सांसद रहे,लेकिन एक चीज का नामकरण भी उनके नाम पर नहीं किया गया. देवास में लंबी लड़ाई लड़ी, वहां भी नामकरण नहीं किया,आखिर ऐसा क्यो. विचारधारा की बात नहीं है, जो पालेगा पोसेगा अब मैं उनके साथ ही रहूंगा.कमलनाथ जी से प्रभावित हूं. उन्होंने सिर्फ तीन मिनट में ही पिताजी के स्मारक के लिए जमीन दे दी थी. भाजपा ने 30 महीने में स्मारक को खडंहर बनाकर रख दिया.
रवाना होने से पहले देवास कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मनोज राजानी और सोनकच्छ के पूर्व विधायक सुरेंद्र वर्मा उनके निवास पर पहुंचे। जोशी के निवास पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं का भी जमावड़ा भी लग गया था। भाजपा के उनके समर्थक भी उनके यहां पर सुबह से ही जमा होने लगे थे। इसके बाद सुबह वे काफिले के साथ देवास से भोपाल के लिए रवाना हुए। घर से उन्हें दही खिलाकर भोपाल रवाना किया गया। इस दौरान उनके समर्थकों ने उन्हें फरसा भी भेंट किया।
तीन बार रहे विधायक, बागली और हाटपीपल्या से चुने जा चुके
दीपक जोशी तीन बार विधायक रहे हैं। वे शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में मंत्री भी रहे हैं। दीपक जोशी ने अपना पहला चुनाव अपने पिता कैलाश जोशी की पारम्परिक सीट बागली से जीता था। इस सीट का गठन 1962 में हुआ था। तब से कैलाश जोशी इस सीट पर आठ बार लगातार चुनाव जीते थे। उनके पिता जून 1977 से जनवरी 1978 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे।
कैलाश जोशी 1998 में बागली से चुनाव हार गए थे। इसके बाद पार्टी ने 2003 में दीपक जोशी को इस सीट से मौका दिया, उन्होंने कांग्रेस के श्याम होलानी को 17 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। इसके बाद 2008 में यह सीट आरक्षित हो गई, तब भाजपा ने हाटपीपल्या से दीपक जोशी को चुनाव लड़वाया। वे इस सीट से लगातार दो चुनाव जीते। इसके बाद वे 2018 का चुनाव हार गए। जोशी लंबे समय से पार्टी से असंतुष्ट बताए जा रहे थे। वे कई बार अपनी उपेक्षा की शिकायत भी कर चुके थे।