राजीव चंद्रशेखर ने निरंतरता पर ध्यान देते हुये तटीय अर्थव्यवस्थाओं के लिये लाजिस्टिक्स बदलाव पर सम्मेलन को किया संबोधित
नई दिल्ली, 25अप्रैल।कौशल विकास और उद्यमिता तथा इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने तीसरे शिक्षा कार्य समूह (एडडब्ल्यूजी) बैठक के तहत एक अपनी तरह की कार्य के भविष्य की प्रदर्शनी के दूसरे दिन के आयोजन का उद्घाटन किया। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में सचिव अतुल कुमार तिवारी, भारतीय उद्योग परिसंध (सीआईआई) के निर्वाचित अध्यक्ष और टीवीएस सप्पलाई चैन साल्यूशंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष आर. दिनेश और पार्टनर डेलायट एन एस एन मूर्ति भी उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे।
राजीव चंद्रशेखर ने इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुये इस बात पर प्रसन्नता जताई कि कार्य और कौशल के भविष्य जैसे अहम् मुद्दे पर जारी विचार विमर्श में बड़ी संख्या में छात्र शामिल हो रहे हैं और वह इसके सबसे महत्वपूर्ण लाभार्थी हैं। मंत्री ने कहा कि सम्मेलन में हो रही चर्चा लाजिस्टिक्स के कार्यकलापों, तटवर्ती अर्थव्यवस्थाओं और निरंतरता पर केन्द्रित है जो कि महत्वपूर्ण विषय है और तटवर्ती अर्थव्यवस्थाओं में कौशल के संदर्भ में यह काफी अहम् है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले सालों में लाजिस्टिक्स युवा छात्रों के लिये नये अवसरों और संभावनाओं से भरपूर क्षेत्र होगा। इस में सेमिकंडक्टर, इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र होंगे जिनमें कि निवेश, उद्यमशीलता और रोजगार की काफी गुंजाइश होगी। दुनिया के लिये यह बहुत अच्छा समय है जब नये अवसर और चुनौतियां सामने हैं और ऐसे में भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढने वाला देश बन गया है। पूरी दुनिया आज भारत की तरफ अधिक सम्मान के साथ देख रही है।
मंत्री ने अपने संबोधन में कुछ बातों पर जोर देते हुये कहा कि दुनिया के देश भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला और मजबूत लाजिस्टिक्स सुविधाओं को देख रहे है। वह जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं उससे दूर हो रहे हैं और यही वजह है कि वह विश्वसनीय मजबूत अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं। इस स्थिति में ओड़िशा जैसे तटवर्ती राज्य में लाजिस्टिक्स पर चर्चा और ध्यान देना महत्वपूर्ण है। वर्ष 2014 में भारत में इस्तेमाल 82 प्रतिशत मोबाइल फोन आयातित थे वहीं 2022 की यदि बात करें तो खपत हुये करीब शत प्रतिशत मोबाइल फोन भारत में बने थे। 2014 में भारत से मोबाइल फोन का कोई निर्यात नहीं होता था जबकि केवल इसी वर्ष भारत में बने एप्पल फोन, सैमसंग फोन का 11 अरब डालर का निर्यात किया गया। पिछले कई सालों में यह कहा जाता रहा कि भारत में व्यवसाय करने योग्य प्रतिस्पर्धी लाजिस्टिक्स लागत परिवेश उपलब्ध नहीं होने के कारण उसमें वहनीय बाजार और क्षमता की कमी है, लेकिन आज कई प्रमुख वैश्विक कंपनियां भारत में सेमिकंडक्टर्स, इलेक्ट्रानिक्स, मोबाइल फोन और कई अन्य उत्पादों का विनिर्माण, निर्यात और भारत में बिक्री कर रही है। इसके साथ ही उपलब्ध लाजिस्टिक्स जैसे साजो सामान से जुड़ा समूचा परिवेश भी अधिक सक्षम बना है।
उन्होंने आगे कहा कि जब भविष्य की तरफ हम देखते हैं तो प्रधानमंत्री ने संपर्क के कई तरीकों के लिये गतिशक्ति, राष्ट्रीय मास्टर योजना पर ध्यान केन्द्रित किया है जो कि आधुनिक लॉजिस्टिक सुविधायें खड़ी करने और भारत को समुद्री अर्थव्यवस्था उत्पादों, खाद्य पदार्थों और कृषि क्षेत्र में एक वैश्विक केन्द्र के रूप में उभारने के लिये जरूरी है। हमारे युवाओं के लिये लाजिस्टिक्स एक आकर्षक क्षेत्र बनने जा रहा है जो कि अवसरों से परिपूर्ण होगा। यह प्रौद्योगिकी के मामले में सक्षम होगा, इसमें प्रौद्यिगिकी और नये उभरते क्षेत्रों में अन्य अवसरों के साथ ही निवेश, उद्यमिता और रोजगार के लिये काफी अवसर होंगे। मंत्री ने युवाओं से कहा कि आप में से ज्यादातर कालेजों में अपनी डिग्री की पढ़ाई कर रहे होंगे, ऐसे में उन्होंने प्रधानमंत्री के विजन पर जोर देते हुये कहा कि यह आपको सलाह देता है कि जितना आप डिग्री पाने पर ध्यान देते हैं उसी तरह से आपको कौशल अपनाने पर भी ध्यान देना चाहिये, इससे महामारी के बाद के मौजूदा आधुनिक दौर में रोजगार पाने की आपकी क्षमता और संभावनायें बढ़ जायेंगी। आने वाला समय कौशल, अधिक कौशल और पुनः कौशल का है और कौशल होना हमेशा ही एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है।
उद्घाटन सत्र के बाद मंत्री ने करीब 70 प्रदर्शकों को देखा और उनके प्रयासों की सराहना कर उनका मनोबल बढ़ाया। प्रदर्शकों में अलग अलग क्षेत्रों के प्रमुख संस्थानों और संगठन जैसे कि एमईआईटीवाई, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), एनआईईएसबीयूडी, यूनिसेफ, एनसीईआरटी, एनआईटी राउरकेला, आईआईटी भुवनेश्वर, आईआईएम संबलपुर, सीवी रमन ग्लोबल इंस्टीट्यूट, आडीशा स्थित स्टार्ट-अप और कई अन्य ने अपनी अपनी प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया जो कि आधुनिक कार्यस्थलों, भविष्य के कौशल और नवोन्मेषी आपूर्ति तरीकों के क्षेत्र में लगातार नवाचार करते हुये काम के भविष्य के तौर तरीके तय करेंगे।
इस मौके पर उपस्थित अतिथियों और लोगों ने ’फ्यूचर आफ वर्क एक्जीबिट’ में मुख्य तौर पर तीन क्षेत्रों — कृषि, मोबिलिटी और स्वास्थ्य देखभाल, मेटावर्स, रिवर्स इंजीनियरिंग और आटोमेटिड डिजाइन साल्यूशंस, ड्रोन टेक्नालाॅजी, एआर/वीआर के साथ एड-टेक साल्यूशंस, इंडस्ट्री 4.0 स्किल्स, वर्नाकुलर लर्निंग आधारित टैक-साल्यूशंस, वर्चुअल इंटर्नशिप साल्यूशंस और सहायक प्रौद्योगिकी एवं समावेश के लिये टेक्टाइल डिस्पले और सहायक प्रौद्योगिकी नवोन्मेष का स्थल पर ही प्रदर्शन जैसी कई प्रौद्योगिकियों का अवलोकन किया। इस विशेष प्रदर्शनी का आयोजन भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत 23 से 28 अप्रैल के बीच तीसरे शिक्षा कार्य समूह की बैठक के साथ सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ मिनरल्स एण्ड मैटीरियल्स टेक्नोलॉजी (आईएमएमटी) भुवनेश्वर, ओडिशा में किया जा रहा है।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और शिक्षा मंत्रालय ने निरंतरता पर ध्यान केन्द्रित करते हुये तटवर्ती अर्थव्यवस्थाओं के लिये लाजिस्टिक्स में बदलाव जैसे विषय पर दूसरे पूर्ववर्ती कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एक ऐसा परिवेश तैयार करना है जिसमें सरकार, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य के भविष्य पर पड़ने वाले प्रभावों का पता लगाने के लिये विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवरों को एक साथ लाकर नवाचार, गठबंधन और अध्ययन को बढ़ावा दिया जाता है। आज के पैनल में ओड़िशा सरकार के वाणिज्य और परिवहन विभाग में विशेष सचिव संजय मिश्रा, शिक्षा ओ अनुसंधान यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. प्रदीप्ता कुमार नंदा, जिंदल स्टेनलेस समूह के मुख्य लाजिस्टिक्स अधिकारी वेंकटेश्वर राव, हाॅरिजन इंडस्ट्रियल पाक्र्स के मुख्य कार्याघिकारी राहुल पंडित, कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी), उर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) के फैलो डा. वैभव चतुर्वेदी, आईटीसी लिमिटेड की चीफ सस्टेनेबिलिटी आफीसर, मधुलिका शर्मा तथा कई अन्य जाने माने वक्ता शामिल थे।
भविष्य में कामकाज का अनुभव देने के लिये एक विशिष्ट परिसर इस प्रदर्शनी में स्थापित किया गया था जिसमें युवाओं को यह बताने का प्रयास किया गया कि उन्हें समय की जरूरत के मुताबिक अपने को योग्य बनाये रखने के लिये किस प्रकार अत्याधुनिक तकनीक कौशल और सरल हस्तांतरणीय कौशल की आवश्यकता होगी। प्रदर्शनी में विभिन्न क्षेत्रों में अपनाई जाने वाली अलग-अलग तरह की प्रौद्योगिकियों को दिखाया जायेगा जो कि भविष्य में काम करने के नये तौर तरीकों को तय करेंगी। इसमें आधुनिक कार्यस्थलों पर होने वाले नवोन्मेष, परंपरागत क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का एकीकरण और माल पहुंचाने के नवीन तौर तरीके शामिल होंगे। इस प्रदर्शनी में प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रमुखों, प्रभावकारी लोगों और शिक्षाविदों के लिये भविष्य में अपनाये जाने वाले उन्नत तौर तरीकों को बताने और दिखाने का एक अहम अवसर उपलब्ध होगा।