अफ्रीकी देश नाइजीरिया में डिप्थीरिया का प्रकोप, 200 से ज्यादा मामलों की पुष्टि, जानिए लक्षण, कारण और इलाज
नई दिल्ली, 16 फरवरी।अफ्रीकी देश नाइजीरिया के स्वास्थ्य अधिकारियों ने दिसंबर 2022 से देश के चार राज्यों में 40 मौतों के साथ डिप्थीरिया के 216 मामलों की पुष्टि की है. मंगलवार को शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि नाइजीरिया सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (एनसीडीसी) ने कहा कि उत्तरी राज्य कानो में 38 मौतों के साथ 211 मामलों की पुष्टि हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के दक्षिण-पश्चिम राज्य लागोस में दो मौतों के साथ दो मामले दर्ज किए गए हैं, पूर्वोत्तर राज्य योबे में डिप्थीरिया के दो मामले सामने आए और कोई मौत नहीं है. नाइजीरिया के दक्षिण-पश्चिम राज्य ओसुन में एक मामला सामने आया है.
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, डिप्थीरिया के 216 मामलों में से 184 की आयु 2 से 14 वर्ष के बीच है, प्रभावित राज्यों में टीकाकरण कार्यक्रमों सहित प्रतिक्रिया गतिविधियों पर ध्यान दिया जा रहा है.
डिप्थीरिया (गलघोंटू) एक बहुत ही गंभीर और संक्रामक इंफेक्शन है, जो कोरिनेबैक्टीरियम प्रजाति के बैक्टीरिया के वजह से होता है. डिप्थीरिया के कारण पैरालिसिस हो सकता है, इस संक्रमण की वजह से हार्ट फेल और सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है. कुछ मामलों में यह घातक साबित हो सकता है, जिसके कारण व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. अफ्रीकी देश नाइजीरिया में इन दिनों डिप्थीरिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. यहां दिसंबर 2022 से 14 फरवरी 2023 तक सिर्फ तीन महीनों में ही डिप्थीरिया के 200 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और उनमें से 40 की मौत की पुष्टी भी हो चुकी है. डिप्थीरिया की पहचान के लिए व्यक्ति के गले के अंदर झांका जाता है. CDC के अनुसार गले के पिछले हिस्से में ग्रे रंग के पैच बनना डिप्थीरिया की पहचान होती है.
डिप्थीरिया क्या है –
जैसा कि हमने ऊपर बताया डिप्थीरिया, कोरिनेबैक्टीरियम प्रजाति के बैक्टीरिया (Bacterial Infection) की वजह से होने वाली एक बेहद संक्रामक बीमारी है. यह आमतौर पर व्यक्ति की श्वसन प्रणाली (Respiratory System) और पूर्णांक प्रणाली (Integumentary System) को प्रभावित करती है. पूर्णांक प्रणाली में त्वचा की तीन परतें – हाइपोडर्मिस, डर्मिस और एपिडर्मिस के साथ ही ग्रंथियां, नाखून और बाल भी शामिल हैं. इस बैक्टीरिया के कुछ प्रकार एस्कोटोक्सिन (Exotoxin) नाम के एक टॉक्सिन का उत्पादन करते हैं. इसकी वजह से पहुत ही गंभीर प्रकार का डिप्थीरिया संक्रमण होता है. इस टॉक्सिन की वजह से प्रोटीन का निर्माण रुक जाता है और अंतत: शरीर की कोशिकाएं और उत्तक मरने लगते हैं.
यह टॉक्सिन रक्त प्रवाह में शामिल हो जाता है और किडनी, दिल व नसों को नुकसान पहुंचाता है. इस टॉक्सिन के कारण दिल की मांसपेशियों में सूजन हो सकती है, जिसे मायोकार्डाइटिस कहते हैं. न्यूरोपैथी भी हो सकती है, जिसमें नसें क्षतिग्रस्त हो जाती है और इसकी वजह से सुन्नपन, मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द और झुनझुनी सनसनाहट होने लगती है.
घातक है डिप्थीरिया, लगवाएं टीका
अगर सही समय पर ठीक से इलाज न करवाया जाए तो डिप्थीरिया 50 फीसद लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है. इसकी रोकथाम के लिए भारत जैसे देशों में DPT वैक्सीन दी जाती हैं. जिसमें D का मतलब डिप्थीरिया, P का मतलब पर्टुसिस और T मतलब टेटनस होता है. भारत में डिप्थीरिया की रोकथाम के लिए बच्चे के पैदा होने के 6 सप्ताह बाद डिप्थीरिया वैक्सीन की पहली खुराक दी जाती है. इसके बाद अपने डॉक्टर द्वारा बताए गए टीकाकरण कार्यक्रम को आपको पूरी तरह से मानना चाहिए. जानिए बच्चों को किस-किस समय पर दी जाती हैं पांच खुराक.
पहली खुराक – 2 महीने
दूसरी खुराक – 4 महीने
तीसरी खुराक – 6 महीने
चौथी खुराक – 15 से 18 महीने
पांचवी खुराक – 4 से 6 साल
इनके अलावा 11 से 12 साल की उम्र में डीपीटी बूस्टर टीडीएपी (Tdap) की खुराक दी जानी चाहिए.
यही नहीं इसके बाद हर दस साल में डीपीटी की एक खुराक लेने की आवश्यकता होती है.
डिप्थीरिया के कारण –
डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है, जो कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया की वजह से होती है. यह बैक्टीरिया शरीर में ऐसे टॉक्सिन पैदा करता है, जिनकी वजह से संक्रमित व्यक्ति बहुत बुरी तरह से बीमार पड़ जाता है.
कैसे फैलता है डिप्थीरिया संक्रमण
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा, डिप्थीरिया एक बेहद ही संक्रामक बीमारी है. निम्न कुछ तरीकों से व्यक्ति इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आ सकता है –
संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर निकले वाली छोटी-छोटी रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स के संपर्क में आने से
संक्रमित व्यक्ति के नाक और गले से निकलने वाले स्राव जैसे बलगम और लार के संपर्क में आने से
संक्रमित व्यक्ति के त्वाच पर मौजूद घाव और मस्सों से.
डिप्थीरिया के लक्षण –
डिप्थीरिया श्वसन और पूर्णांक प्रणाली से जुड़ी बीमारी है. इस बीमारी के संपर्क में आने से लेकर संक्रमण होने तक इनक्यूबेशन पीरियड 2-5 दिन का होता है. लेकिन कई बार लक्षण विकसित होने में 10 दिन तक का समय लग सकता है. इसके लक्षणों में निम्न शामिल हैं –
नाक और गले के पिछले हिस्से में ग्रे कोटिंग
गले में खराश
ग्रंथियों में सूजन (Swollen Glands)
कमजोरी
हल्का बुखार
भूख में कमी
गला बैठना, कर्कश आवाज
कुकुर खांसी
त्वचा पर संक्रमण होने की स्थिति में अल्सर और खुले घाव दिखना
डिप्थीरिया के संकेत और लक्षण उसके लिए जिम्मेदारी बैक्टीरिया के प्रकार पर निर्भर करते हैं और लक्षणों के लिहाज से शरीर के किस हिस्से में संक्रमण फैला है यह भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. डिप्थीरिया की वजह से श्वसन संबंधी समस्या हो सकती है और त्वचा संक्रमण भी हो सकता है. अगर डिप्थीरिया का संक्रमण त्वचा पर होता है तो इससे खुले जख्म और अल्सर हो सकते हैं. हालांकि, इससे गंभीर बीमारी कम ही होती है.
डिप्थीरिया से जुड़ी जटिलताएं –
अगर टॉक्सिन रक्त प्रवाह में शामिल हो जाते हैं और अन्य महत्वपूर्ण उत्तकों को नुकसान पहुंचाता है, तो इससे संक्रमित व्यक्ति की स्थिति खतरनाक स्तर तक बिगड़ सकती है. कुछ संभावित जटिलताओं में शामिल हैं –
मायोकार्डाइटिस
न्युराइटिस
वायुमार्ग में रुकावट
किडनी फेलियर
पैरालिसिस
कई मामलों में डिप्थीरिया बहुत ही घातक साबित हो सकता है और संक्रमित होने वाले 5-10 फीसद लोगों की मौत हो जाती है.
कम गंभीर संक्रमण
अगर डिप्थीरिया का संक्रमण गले के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में होता है तो यह अपेक्षाकृत कम गंभीर होता है. इसमें त्वचा पर होने वाले डिप्थीरिया के संक्रमण में हल्के लक्षण विकसित होते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा शरीर टॉक्सिन को कम मात्रा में अवशोषित करता है. डिप्थीरिया का संक्रमण अन्य त्वचा रोगों के साथ भी हो सकता है. इसलिए त्वचा के डिप्थीरिया के लक्षण एग्जीमा, सोराइसिस और इम्पेटिगो जैसे ही दिखते हैं.
डिप्थीरिया का निदान –
अगर डॉक्टर को डिप्थीरिया होने की आशंका होती है तो डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट कराने की सलाह देंगे, जिससे डिप्थीरिया की जांच की जा सके. इस टेस्ट में गले के पिछले हिस्से से स्वैब इकट्ठा करना, त्वचा के अल्सर से सैंपल लेना भी शामिल है. इसके बाद बैक्टीरियल कल्चर किया जाता है. अगर डॉक्टर को संदेह है कि यह डिप्थीरिया ही है तो वह आपको तुरंत इलाज कराने की सलाह दे सकते हैं.
डिप्थीरिया का इलाज –
डिप्थीरिया के इलाज में बैक्टीरिया संक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए दो तरह की इलाज पद्वति अपनाई जाती है.
एंटी-टॉक्सिन – इसे एंटी-डिप्थेरिटिक सीरम के नाम से भी जाना जाता है. इस इलाज के जरिए बैक्टीरिया टॉक्सिन को न्यूट्रिलाइज किया जाता है. डॉक्टर श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले डिप्थीरिया के इलाज के लिए एंटी-टॉक्सिन का इस्तेमाल करते हैं.
एंटी-बायोटिक्स – एरिथ्रोमाइसिन (Erythromycin) और पेनिसिलिन (Penicillin) डिप्थीरिया फैलाने वाले बैक्टीरिया को शरीर से बाहर करने के साथ ही इसे फैलने से रोक सकता है. एंटी-बायोटिक ट्रीटमेंट के जरिए श्वसन तंत्र से जुड़े डिप्थीरिया और स्किन डिप्थीरिया का इलाज किया जाता है. अच्छी बात यह है कि दवा लेने के 48 घंटे बाद संक्रमित व्यक्ति किसी अन्य को संक्रमण नहीं फैला सकता है. हालांकि, उन्हें एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा करना जरूरी होता है.