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सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सरकार द्वारा भारत के सहकारी ढांचे को देश की आर्थिक और सामाजिक आवश्यकताओं के साथ समन्वित

करते हुए इसे सुदृढ़ करने के लिए कई कदम उठाए गए

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सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज लोकसभा में ‘सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति’ पर एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2022 को नई राष्ट्रीय सहयोग नीति तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया है, जिसमें सहकारी क्षेत्र के विशेषज्ञ, राष्ट्रीय/राज्य/जिला/प्राथमिक स्तर की सहकारी समितियों के प्रतिनिधि, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव (सहकारिता) और आरसीएस, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के अधिकारी शामिल होंगे। नई राष्ट्रीय सहयोग नीति के निर्माण से ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने, सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा देने, देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने और जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को गहरा करने में मदद मिलेगी। इस संबंध में पहले हितधारकों के साथ परामर्श किया गया था और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय सहकारी संघों, संस्थानों तथा आम जनता से भी नई नीति तैयार करने के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए थे। राष्ट्रीय स्तर की समिति नई नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए संग्रहीत फीडबैक, नीतिगत सुझावों और सिफारिशों का विश्लेषण करेगी।

सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सरकार द्वारा भारत के सहकारी ढांचे को देश की आर्थिक और सामाजिक आवश्यकताओं के साथ समन्वित करते हुए इसे सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:

1. पीएसीएस का कम्प्यूटरीकरण: 2,516 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ एक ईआरपी आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर 63,000 कार्यशील पीएसीएस ऑनबोर्ड करने की प्रक्रिया आरंभ हुई।

2. पीएसीएस के लिए मॉडल उपनियम: पीएसीएस को डेयरी, मत्स्य पालन, गोदामों की स्थापना, एलपीजी/पेट्रोल/हरित ऊर्जा वितरण एजेंसी, बैंकिंग संवाददाता, सीएससी आदि जैसी 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियों को करने में सक्षम बनाने के लिए संबंधित राज्य सहकारिता अधिनियम के अनुसार मॉडल उपनियम तैयार किए गए और उन्हें अपनाने के लिए परिचालित किया गया।

3. सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के रूप में पीएसीएस: सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड तथा सीएससी-एसपीवी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए ताकि पीएसीएस को उनकी व्यवहार्यता में सुधार करने, ग्रामीण स्तर पर ई-सेवाएं प्रदान करने, रोजगार सृजन करने के लिए सीएससी के रूप में कार्य करने में मदद मिल सके।

4. राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस: नीति निर्माण और कार्यान्वयन में हितधारकों की सुविधा के लिए देश में सहकारी समितियों के एक प्रामाणिक और अद्यतन डेटा भंडार की तैयारी आरंभ हो गई है।

5. राष्ट्रीय सहकारी नीति: ‘सहकार-से-समृद्धि’ के विजन को साकार करने के लिए एक सक्षम ईको-सिस्टम बनाने के लिए नई सहकारिता नीति तैयार करने के लिए देश भर के विशेषज्ञों और हितधारकों की एक राष्ट्रीय स्तर की समिति गठित की गई है।

6. एमएससीएस अधिनियम, 2002 में संशोधन: 97वें संवैधानिक संशोधन के प्रावधानों को शामिल करने, शासन को मजबूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने, जवाबदेही बढ़ाने और बहु राज्य सहकारी समितियों में चुनावी प्रक्रिया में सुधार करने के लिए केंद्र प्रशासित एमएससीएस अधिनियम, 2002 में संशोधन करने के लिए संसद में विधेयक पेश किया गया।

7. राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम: एनसीडीसी द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों के लिए एसएचजी के लिए ‘स्वयंशक्ति सहकार’; दीर्घावधि कृषि ऋण के लिए ‘दीर्घावधि कृषक सहकार’; डेयरी के लिए ‘डेयरी सहकार’ और मत्स्य पालन के लिए ‘नील सहकार’ जैसी नई योजनाएं आरंभ की गईं। वित्त वर्ष 2021-22 में 34,221 करोड़ रुपए की कुल वित्तीय सहायता प्रदान की गई।

8. क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट में सदस्य ऋणदाता संस्थान: गैर-अनुसूचित यूसीबी, एसटीसीबी और डीसीसीबी को ऋण देने में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सीजीटीएमएसई योजना में एमएलआई के रूप में अधिसूचित किया गया।

9. जीईएम पोर्टल पर ‘खरीदार’ के रूप में सहकारी समितियां: सहकारी समितियों को जीईएम पर ‘खरीदार’ के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति दी गई है, जिससे वे किफायती खरीद और अधिक पारदर्शिता की सुविधा के लिए लगभग 40 लाख विक्रेताओं से सामान और सेवाएं खरीद सकेंगी।

10. सहकारी समितियों पर अधिभार में कमी: 1 से 10 करोड़ रुपए के बीच आय वाली सहकारी समितियों के लिए अधिभार 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है।

11. न्यूनतम वैकल्पिक कर में कमी: सहकारी समितियों के लिए मैट को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया।

12. आईटी अधिनियम की धारा 269एसटी के तहत राहत: सहकारी समितियों द्वारा प्रत्येक लेनदेन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 269एसटी के तहत स्पष्टीकरण जारी किया गया है।

13. नई सहकारी समितियों के लिए कर की दर कम करना: केंद्रीय बजट 2023-24 में 31 मार्च, 2024 तक विनिर्माण गतिविधियां शुरू करने वाली नई सहकारी समितियों के लिए 30 प्रतिशत तक की वर्तमान दर की तुलना में 15 प्रतिशत की निम्न फ्लैट कर दर वसूलने की घोषणा की गई।

14. पीएसीएस और पीसीएआरडीबीएस द्वारा नकद में जमा और ऋण की सीमा में वृद्धि: केंद्रीय बजट 2023-24 में पीएसीएस और पीसीएआरडीबी द्वारा नकद में जमा और ऋण के लिए प्रति सदस्य 20,000 से 2 लाख रुपए की सीमा बढ़ाने की घोषणा की गई।

15. टीडीएस के लिए सीमा में वृद्धि: केंद्रीय बजट 2023-24 में सहकारी समितियों के लिए नकद निकासी की सीमा टीडीएस के अधीन किए बिना, 1 करोड़ से 3 करोड़ रुपए प्रति वर्ष बढ़ाने की घोषणा की गई।

16. चीनी सहकारी मिलों को राहत: चीनी सहकारी मिलों को किसानों को उचित और लाभकारी पारिश्रमिक या राज्य परामर्शित मूल्य तक गन्ने के अधिक मूल्य का भुगतान करने के लिए अतिरिक्त आयकर के अधीन नहीं लाया जाएगा।

17. चीनी सहकारी मिलों के पुराने लंबित मुद्दों का समाधान: केंद्रीय बजट 2023-24 में चीनी सहकारी समितियों को निर्धारण वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि के लिए गन्ना किसानों को उनके भुगतान को व्यय के रूप में दावा करने की अनुमति देने की घोषणा की गई, जिससे लगभग 10,000 करोड़ रुपए की राहत प्रदान की गई।

18. नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी बीज समिति: नई शीर्ष राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी बीज समिति की स्थापना एक सिंगल ब्रांड के तहत गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती, उत्पादन और वितरण के लिए व्यापक संगठन के रूप में एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत की जा रही है।

19. नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी जैविक समिति: नई शीर्ष राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी जैविक समिति की स्थापना एक सिंगल ब्रांड के तहत प्रमाणित एवं प्रमाणिक जैविक उत्पादों की खेती, उत्पादन और वितरण के लिए व्यापक संगठन के रूप में एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत की जा रही है।

20. नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति: सहकारिता मंत्री ने कहा कि नई शीर्ष राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना सहकारी क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक संगठन के रूप में एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत की जा रही है।