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इंडियन ऑयल ने केंद्रीय टीबी प्रभाग के सहयोग से उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सघनीकृत तपेदिक उन्मूलन परियोजना आरंभ की

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तपेदिक के प्रकोप को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने वाली एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, इंडियन ऑयल ( इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ) ने सघनीकृत तपेदिक उन्मूलन परियोजना आरंभ करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के तहत केंद्रीय टीबी प्रभाग ( सीटीडी ) तथा उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों के साथ एक समझौता ज्ञापन ( एमओयू ) पर हस्ताक्षर किया। यह एमओयू प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2025 तक, सतत विकास लक्ष्य ( एसडीजी ) से पांच वर्ष पूर्व ही, भारत में तपेदिक को समाप्त करने के विजन को बल प्रदान करता है।

इस समझौते पर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी तथा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की उपस्थिति में हस्ताक्षर किया गया। इंडियन ऑयल की तरफ से निदेशक ( एचआर ) श्री रंजन कुमार मोहापात्रा ने स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के संयुक्त सचिव ( नीति ), छत्तीसगढ़ के राज्य तपेदिक अधिकारी डॉ. धमेंद्र गाहवई तथा उत्तर प्रदेश के राज्य तपेदिक अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया।

यह महत्वाकांक्षी अभियान संभावित टीबी की आरंभिक पहचान सुनिश्चित करने तथा द्वार पर नैदानिक परीक्षणों का उपयोग करने के माध्यम से त्वरित रूप से पता लगाने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण का अनुपालन करेगा। इस अभियान का उद्वेश्य निशुल्क तपेदिक उपचार, देखभाल तक स्थायी और समान पहुंच प्रस्तुत करना तथा उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोगों को सेवाएं प्रदान करना भी है।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘‘ मैं इंडियन ऑयल और इसके शीर्ष प्रबंधन को न केवल तपेदिक का मुकाबला करने के लिए इस ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर करने की सक्रिय पहल करने के लिए बल्कि इसे ठोस कार्यान्वयन के बिन्दु तक ले आने के लिए सराहना करता हूं। स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय इस दिशा में नवोन्मेषी कदम उठाता रहा है और अब इंडियन ऑयल के सहयोग के साथ, मुझे भरोसा है कि इस रोग के विरुद्ध मिशन को दृढ़ संकल्प और ब्लूप्रिंट के साथ आगे बढ़ाया जाएगा। यह मील का पत्थर भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने के प्रधानमंत्री के विजन के अनुरुप भारतीय ऊर्जा क्षेत्र की प्रतिज्ञा है। यह सराहनीय है कि किस प्रकार ऊर्जा क्षेत्र की पीएसयू कंपनियां भारत के स्वास्थ्य अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए निरंतर अपने सीएसआर लोक संपर्क का लाभ उठाने के द्वारा उस प्रतिबद्धता को बनाये रख रही हैं। कोविड-महामारी के दौरान इसका सटीक रूप से प्रदर्शन हुआ था।‘‘

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इंडियन ऑयल तथा दोनों राज्यों की 2025 तक तपेदिक के उन्मूलन के प्रधानमंत्री के मिशन को सुदृढ़ बनाने के सामूहिक प्रयासों के लिए सराहना की और कहा, ‘‘ तपेदिक उन्मूलन जैसी पहलों को प्रेरित करने के लिए सार्वजनिक साझीदारियां और एक समग्र दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होगा। मैं पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को उनके सीएसआर प्रयासों के माध्यम से किफायती और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के पोषण में उनके निरंतर योगदान के लिए धन्यवाद देता हूं। ‘‘ केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने उन सुविधाओं की भी सराहना की जो इंडियन ऑयल तपेदिक के प्रसार का मुकाबला करने के लिए प्रदान कर रही है। इनमें मोबाइल टेस्टिंग वैन की शुरुआत शामिल है जो दोनों राज्यों के सबसे सुदूर क्षेत्रों तक पहुंच सकती हैं।

इससे पूर्व, इंडियन ऑयल के निदेशक ( एचआर ) श्री रंजन कुमार मोहापात्रा ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘ भारत के सबसे बड़े ऊर्जा पीएसई के रूप में, इंडियन ऑयल राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का संयोजन करने के लिए हमेशा व्यवसाय प्राथमिकताओं से आगे प्रयास करती रही है। कोविड महामारी के सबसे विनाशकारी चरणों के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने का हमारा संकल्प सबसे अग्रणी था, जब आप स्मरण करेंगे कि किस प्रकार इंडियन ऑयल ने देश में मेडिकल ऑक्सीजन सहायता को आगे बढ़ाने तथा कोविड देखभाल अवसरंचना में वृद्धि करने के लिए अपने व्यवसाय संसाधनों को फिर से संयोजित किया। हम एक मिशनरी उत्साह के साथ टीबी- मुक्त भारत के उद्वेश्य को आगे बढ़ाएंगे। इस प्रकार के प्रयत्न ‘पहले इंडियन, फिर ऑयल‘  के मंत्र के प्रति इंडियन ऑयल की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

इस पथप्रदर्शक अभियान के साथ, इंडियन ऑयल उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में व्यापक रूप से सक्रिय केस खोजने वाले अभियान ( एसीएफ ) को कार्यान्वित करने वाली पहली कंपनी के रूप में उभरी है, जिसने तीन साल के लिए वर्ष में एक बार लगभग 10 प्रतिशत आबादी को कवर किया है। इस परियोजना के तहत, इंडियन ऑयल ने उत्तर प्रदेश में आधुनिक नैदानिक प्रौद्यागिकी के साथ सुसज्जित मोबाइल मेडिकल वैन की सुविधा भी प्रस्तुत करेगा। इससे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों तथा दुर्गम स्थानों पर रहने वाले समुदायों में टीबी के निदान में सहायता करेगा जिससे आरंभिक मामलों का पता लगाने तथा उपचार में सुधार आएगा।

इंडियन ऑयल एक किफायती, नैदानिक मशीन ट्रूनाट भी प्रस्तुत कर रही है जो सुदूर जनजातीय क्षेत्रों में टीबी नैदानिक सेवाओं की पहुंच तथा उपलब्धता में सुधार लाएगी। इंडियन ऑयल इन मशीनों को उत्तर प्रदेश के 8 आकांक्षी जिलों( बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर एवं सोनभद्र ) के सभी तपेदिक इकाइयों तथा छत्तीसगढ़ राज्य के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों ( सीएचसी ) में उपलब्ध कराएगी। इसके अतिरिक्त, कंपनी उत्तर प्रदेश के सभी 18 राज्य मुख्यालयों और 8 आकांक्षी जिलों को कवर करते हुए हैंडहेल्ड एक्सरे यूनिट उपलब्ध कराएगी। एक्सरे यूनिट छत्तीसगढ़ राज्य के पांच संभागों में भी उपलब्ध कराई जाएंगी।

तपेदिक को विश्व का सबसे संक्रामक हत्यारा माना जाता है और यह प्रति वर्ष लगभग 10 मिलियन लोगों को संक्रमित करता है, जिससे लगभग 1.5 मिलियन लोग मारे जाते हैं। भारत में सालाना वैश्विक टीबी के लगभग एक चौथाई मामले सामने आते हैं।