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हाईकोर्ट के फैसले पर बोले सीएम योगी, OBC आरक्षण के बाद ही…’

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लखनऊ, 27दिसंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि OBC के लिए आरक्षित अब सभी सीटें जनरल मानी जाएंगी. कोर्ट ने कहा कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो, तब तक OBC आरक्षण नहीं होगा. सरकार या निर्वाचन आयोग बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवा सकते हैं. इन सबके बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रिएक्शन आया है. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी.

सीएम योगी ने ट्वीट किया, ‘उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी. इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा. अगर आवश्यक हुआ तो माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके प्रदेश सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी.

हाईकोर्ट ने क्या सुनाया आदेश
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’ के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट का यह फैसला आया है. अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्‍य सरकार ने कहा कि इस मामले में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और इसके उपरांत ही नगर निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा. उसने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो उच्चतम न्यायालय में भी सरकार अपील करेगी. मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (SP) ने इसे पिछड़ों के हक पर कुठाराघात बताते हुए कहा है कि BJP निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है.

बता दें कि उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक पखवाड़े से रुके नगरीय निकाय चुनाव के मुद्दे पर शनिवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और कहा था कि वह 27 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी. अदालत ने मुकदमे की प्रकृति के कारण शीतकालीन अवकाश के बावजूद मामले में सुनवाई की. राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में त्रिस्तरीय नगर निकाय चुनाव में 17 नगर निगमों के महापौर, 200 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों और 545 नगर पंचायतों के लिए आरक्षित सीटों की अनंतिम सूची जारी करते हुए सात दिनों के भीतर सुझाव/आपत्तियां मांगी थी और कहा था कि सुझाव/आपत्तियां मिलने के दो दिन बाद अंतिम सूची जारी की जाएगी.