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संस्कृति मंत्रालय लोकगीत कलाकारों की सुरक्षा के लिए छात्रवृत्ति तथा फेलोशिप वित्तीय सहायता योजना संचालित करता है

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  • संगीत नाटक अकादमी संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन है, यह अपनी सलाहकार समितियों की सिफारिश पर देशभर के लोकगीत कलाकारों को समर्थन देने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है।
  • संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

संस्कृति मंत्रालय कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृत्ति तथा फेलोशिप की योजना का संचालन करता है, जिसके माध्यम से लोकगीत कलाकारों सहित विद्वानों तथा कलाकारों को कला के अपने रूपों को आगे बढ़ाने तथा विशिष्ट कला उपकरणों आदि की खरीद के लिए फेलोशिप के रूप में वित्तीय सहायता दी जाती है। इसी तरह संस्कृति मंत्रालय के स्वायत्त संगठन संगीत नाटक अकादमी भी अपनी सलाहकार समितियों की सिफारिश पर देशभर के लोकगीत कलाकारों को समर्थन देने के लिए वित्तीय सहायता देता है।

संस्कृति मंत्रालय का स्वायत्त संगठन सांस्कृतिक संसाधन तथा प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) सांस्कृतिक प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति योजना (सीटीएसएसएस) लागू करता है, जो 10-14 वर्ष आयु वर्ग के प्रतिभाशाली बच्चों को कला के विभिन्न रूपों का अध्ययन करने के लिए सुविधाएं प्रदान करता है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष 650 छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। इनमें से 100 जनजातीय संस्कृति (अनुसूचित जनजाति उम्मीदवारों) के लिए आरक्षित हैं।

भारत सरकार का जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) के माध्यम से नगालैंड के होर्नबिल महोत्सव, मिजोरम के पावल-कुट उत्सव तथा तेलंगाना के मेदारम जात्रा जैसे जनजातीय उत्सवों (राज्य स्तर पर) के लिए राशि प्रदान करता है।

इसी प्रकार ऑक्टेव पूर्वोत्तर क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने तथा संरक्षित करने के लिए सांस्कृतिक केंद्रों (जेडसीसी) द्वारा नियमित रूप से आयोजित किए जाने वाला एक त्यौहार है। केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र से जुड़े लोग तथा जनजातीय कलाकारों को विशेष रूप से इस उत्सव के दौरान प्रदर्शन का अवसर दिया जाता है, जिसके लिए उन्हें पारिश्रमिक प्रदान किया जाता है।

पूरे देश में लोक कला तथा संस्कृति के विभिन्न रूपों की रक्षा, संवर्द्धन तथा संरक्षण के लिए भारत सरकार ने देश में 7 क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (जेडसीसी) स्थापित किए हैं। ये क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र नियमित रूप से पूरे देश में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिसके लिए लोक तथा जनजातीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए इन जेडीसी द्वारा लगाया जाता है। आजीविका कमाने में सहायता करने के लिए इन कलाकारों को टीए/डीए, मानदेय, बोर्डिंग और लॉजिंग, स्थानीय परिवहन आदि का भुगतान किया जाता है।