Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

आरआईसैट व वेदास का उपयोग कर कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने पर एमओयू

38
Tour And Travels

उपग्रह के डेटा उत्पाद व सेवाएं केंद्रीय मंत्री श्री तोमर द्वारा राष्ट्र को समर्पित

अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात- श्री तोमर

“होल ऑफ गवर्नमेंट” का बेहतर उदाहरण- डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान व प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, एमओएस पीएमओ; पीपी/डीओपीटी; परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आरआईएसएटी (रिसैट)-1ए उपग्रह के डेटा उत्पाद और सेवाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान आरआईसैट व वेदास का उपयोग कर कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने पर कृषि व अंतरिक्ष विभाग के बीच एमओयू साइन हुआ। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में इसरो द्वारा तकनीकी कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें यूजर समुदाय के लाभ के लिए आरआईसैट-1ए डेटा का उपयोग करके केस स्टडी और संभावित एप्लीकेशन्स का प्रदर्शन किया गया।

image001RK6R Hindi News Website

इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि आज कृषि के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात हो रहा है। कृषि और अंतरिक्ष विभाग के बीच हुआ समझौता कृषि क्षेत्र की ताकत को और बढ़ाएगा। किसानों तक यह ज्ञान पहुंचेगा तो उनका उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी। उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी और एक्सपोर्ट के अवसर बढ़ेगे।

श्री तोमर ने कहा कि हमारे देश में और पूरी दुनिया में कृषि का क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र आजीविका के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को गति देने व बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने का काम कर रहा है। पहले ज्ञान और निजी निवेश के अभाव की वजह से इस क्षेत्र का नुकसान हुआ। इस क्षेत्र में जितने बदलाव, ज्ञान और निवेश की जरूरत थी, वह नहीं हुआ। यही कारण है कि कृषि का क्षेत्र उतना आगे नहीं बढ़ा, जितना बढऩा चाहिए। वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कामकाज संभाला तो उनके मन में देश को दुनिया में आगे बढ़ाने की ललक थी और नए-नए आयामों से जोडऩे का काम किया गया। इसके कारण अंतरिक्ष विभाग सहित सभी विभागों ने काम करने की पद्धतियां बदलीं, लक्ष्य तय किया और परिणामकारी लक्ष्य की योजना बनी। देश में आज इसका असर दिखर रहा है। कृषि विभाग भी एग्री स्टेक पर काम कर रहा हैं। किसान की आमदनी बढ़ाई जा सके, पूर्वानुमान लगाकर उसे नुकसान से बचाया जा सके, इन पर काम किया जा रहा है।

श्री तोमर ने कहा कि टेक्नोलॉजी से जुडऩे के बाद फसल का अनुमान, राज्यों को आवंटन देने, किसी क्षेत्र को सूखा घोषित करने के लिए सर्वेक्षण, आपदा का आंकलन, ये सब काम आसान हो जाएंगे। यह तकनीक कृषि क्षेत्र के साथ-साथ देश के लिए काफी फायदेमंद है। एग्री स्टेक पूरा होने के बाद कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।

कार्यक्रम में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में प्रमुख उपलब्धि रही कि विज्ञान को दो स्तर पर उपयोग में लाया जाए। पहला इसका उपयोग ‘ईज ऑफ लीविंग’ में किया जाए और दूसरा इसे प्रयोगशाला से निकाल कर विभागों व मंत्रालयों में बांटा जाए। इस पर प्रयास किया गया और आज रोड निर्माण, रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि में भी इसका उपयोग हो रहा है। इस समन्वय और सहयोग को संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने कई निर्णय लिए जो 60-70 वर्षों में भी नहीं हो सके थे। वर्ष 2020 में अंतरिक्ष विभाग के नियमों में संशोधन किया गया।

डॉ. सिंह ने कहा कि आज एमओयू साइन हो रहा है, अगली बार एमओयू की आवश्यकता नहीं होगी। आप अपना सैटेलाइट बनाएंगे और हम उसे छोड़ेंगे। यह काम शुरू हो गया है। जहां तक कृषि क्षेत्र का संबंध है तो चार-पांच स्तर पर प्रमख रूप से वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इसमें ड्रोन प्रमुख है। बहुत-सी ऐसी फसलें हैं, जहां सिंचाई नहीं हो सकती, वहां भी ड्रोन से सिंचाई संभव है। दूसरा उपज को बढ़ाना, तीसरा है सेल्फ लाइफ को बढ़ाना यानि उपज को देश के अलग-अलग हिस्सों में बिना नुकसान के पहुंचाना और चौथा आपदा नियंत्रण।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ‘होल ऑफ गवर्नमेंट’ की बात कहते हैं, आज उसका अच्छा उदाहरण पेश हो रहा है। इस तकनीक के माध्यम से जलशक्ति मंत्रालय, गृह मंत्रालय जुड़ चुके है और अब कृषि मंत्रालय भी जुड़ रहा है। आरआईसैट का अगला जनरेशन आ जाएगा तो उसमें फ्रीक्वेंसी भी ज्यादा होगी और एक्यूरेसी भी। यह सहयोग और बढऩा चाहिए।

इस मौके पर कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा, सचिव अंतरिक्ष विभाग श्री एस. सोमनाथ, डीजी- आईसीएआर डॉ. हिमांशु पाठक, अतिरिक्त सचिव, कृषि विभाग श्री प्रमोद मेहरदा, इसरो के वैज्ञानिक सचिव श्री शांतनु, निदेशक श्री नीलेश देसाई, श्री प्रकाश चौहान आदि मौजूद थे।

image003MJM8 Hindi News Website

आरआईएसएटी-1ए, देश का पहला रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसे 14 फरवरी 2022 को लॉन्च किया गया था। आरआईएसएटी-1ए एक बारहमासी उपग्रह है और यह वनस्पति में गहराई तक प्रवेश कर सकता है। यह प्रकाश की स्थिति की परवाह किए बिना उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली भू-स्थानिक छवियां ले सकता है। आरआईएसएटी-1ए डेटा कृषि, जैव संसाधन, पर्यावरण, जल संसाधन और आपदा प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने में अत्यंत उपयोगी होगा। ये डिजिटल सूचना उत्पाद किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होंगे, क्योंकि वे उन्हें अपनी फसलों को प्रभावित करने वाली समस्याओं की तुरंत पहचान करने और समय पर ऐसी समस्याओं को दूर करने में मदद करेंगे, जिससे अंतत: फसल की पैदावार और आय में वृद्धि होगी। इससे किसानों से लेकर एग्रीटेक एजेंसियों से लेकर नीति निर्माताओं तक – कृषि मूल्य श्रृंखला में सभी हितधारकों के लिए डिजिटल सूचना उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने में भी मदद मिलेगी। यह पहल आगे उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से कृषि को बढ़ाने में मदद करेगी और एक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में डेटा की शक्ति और डिजिटल अवसरों को खोलेगी। यह भारतीय कृषि के समावेशी, आत्मनिर्भर और सतत विकास के लिए डिजिटल आधार प्रदान करेगी।